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समर्पण
जिनके जीवन में वैराग्य की अनुपम श्राभा परिदृश्यमान है, जिनका क्षण-क्षण अन्तश्चेतना के समाकलन में प्रयुज्यमान है, निश्छलता, निर्मलता एवं मृदुलता की भव्य छटा से जिनका व्यक्तित्व शतानुशत विभावित, विभासित एवं विभूषित है,
अनुप्रेक्षा, प्रतिसंलीनता, धारणा तथा ध्यान द्वारा समाधि के परमोच्च शिखर पर समारूढ होने के पावन लक्ष्य की दिशा में जिनके चरण उत्तरोत्तर गतिशील हैं,
करुणा, सेवा और समता जिनके सैद्धान्तिक, वैचारिक एवं कार्मिक जीवन में सर्वथा श्रोतप्रोत हैं,
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जन-जागरण, अध्यात्म-प्रभावना विश्व - वात्सल्य तथा मानव-कल्याण का प्रशस्त पथ जिनके शतमुखी, सहस्रमुखी प्रयत्नों से उजागर है, मेरे विद्या- जीवितव्य तथा संयम- जीवितव्य के परिपोषण, परिवर्धन, संवर्धन और सर्वतोमुखी विकास में जिनकी अनन्य देन है, मेरा व्यक्तित्व, कृतित्व, मेरा सर्वस्व जिनके अनुग्रह के अमृतकणों से अनवरत आप्यायित है, सतत सिंचित है,
जिनके चरणों का आश्रय और वात्सल्य का वरदान प्राप्त कर मैं निःसन्देह धन्य हूँ, कृतपुण्य हूँ, अप्रतिम सौभाग्यशालिनी हूँ,
उन अनुपम महिमा मंडिता, श्रम, शम तथा सम पर आधृत श्रमण संस्कृति की प्रबल, सफल संदेशवाहिका, महायोगेश्वरी, परम श्रेयस्करी प्रबुद्ध मनीषिणी, काश्मीरप्रचारिका गुरुवर्या महासती
श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना'
के करकमलों में
सादर, सविनय, सभक्ति समर्पित
चरणकमलमधुकरी आर्या सुप्रभा
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