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________________ विषमुक्त हुआ | १३७ उनसे मांगलिक सुनवायो। मेरा विश्वास है कि तुम्हारी पत्नी स्वस्थ हो जायेगी। पू० महासतीजी का नाम मैंने सुन रखा था। उनके दर्शन भी किये थे । मैंने अपनी पत्नी को जानकीनगर बुलाया। लगभग डेढ़ महीने तक उसे जानकीनगर रखा और प्रतिदिन पूजनीया महासतीजी से मांगलिक सुनवाया। महासतीजी है के मंगलवचन सुनने का प्रभाव यह हुआ कि मेरी पत्नी बाधा-मुक्त हो गई और पुनः पूर्ण स्वस्थ हो गई। पूजनीय महासतीजी ने जो उपकार मुझ पर किया है उसे मैं जीवनपर्यंत नहीं भूल सकूँगा । परमपिता परमात्मा से मैं तो यही विनती करता हूँ कि वह पू० महासतीजी को दीर्घायु प्रदान करें, जिससे वे दुखियों के दुःख दूर करते रहें। 'ओ यारी वाणी अमृत वाणी गुरुणी सा०. विषमुक्त हुआ 0 सहजराम शर्मा, लाम्बा (जिला नागौर) मैं अपने घर में अस्वस्थावस्था में चारपाई पर पड़ा था कि मेरे कानों में दूर से आते हुए कुछ शब्द पड़े। वाणी में माधुर्य था और वह मुझे बहुत ही सुखद लगो । मैंने घरवालों से पूछा तो बताया गया कि पास के स्थानक में परम विदुषी महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' के प्रवचन हो रहे हैं। मैंने प्रवचनस्थल तक जाने की अपनी इच्छा व्यक्त की और तीन व्यक्तियों का सहारा लेकर मैं वहाँ पहुँच गया । महाराजश्री के दर्शन करके मैंने अपूर्व प्रानन्द का अनुभव किया। मेरी अवस्था बैठने योग्य नहीं थी किन्तु फिर भी मैं बैठा ही रहा। प्रवचन समाप्त होने पर पू० महासतीजी ने मेरी दयनीय दशा देखी तो पछताछ की। मैंने बताया कि आज से लगभग दस ग्यारह महीने पूर्व मैं तालाब पर स्नान करने गया था, वहाँ पानी में प्रवेश करते ही किसी जीव ने काट लिया और तभी से मेरे पूरे शरीर पर सूजन आ गयी है । शरीर पर फफोले भी पड़ गये हैं। सभी प्रकार का उपचार करवा लिया, नागौर, जोधपुर जाकर भी दिखा दिया किन्तु कहीं से कोई लाभ नहीं हुआ । अब मैं अपने जीवन के शेष दिन बीतने की प्रतीक्षा कर रहा हूँ। मेरी बातें सुनने के पश्चात् महासतीजी ने बड़े ही आत्मविश्वास और आत्मीयता के साथ फरमाया कि चिन्ता की कोई बात नहीं है, निराश नहीं होना चाहिये। विश्वास बड़ी बात है। साहस और धैर्य रखो, स्वस्थ हो जाओगे। इतना कहकर आपने मांगलिक सुनाया, । जिसका प्रभाव यह हुआ कि मैं तत्काल खड़ा हो गया और लकड़ी के सहारे अकेला ही घर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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