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शत शत अभिनन्दन / ८७
हूँ
महासतीजी म. की दीक्षा स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर मैं श्रद्धापूर्ण, सुभक्तिपूर्ण हृदय से उनका शत-शत अभिनन्दन करती और यह कामना करती हूँ, वे अपने लक्ष्य के साफल्य की दिशा में उत्तरोत्तर, प्रविश्रान्त रूप में बढ़ती जाएं । उनके साधना संपृक्त जीवन की प्राध्यात्मिक मधुर सुरभि हम सब तक, जन-जन तक पहुंचे, सबके जीवन को आध्यात्मिक प्रेरणा से श्रोतप्रोत बनाए । इस ऐतिहासिक वेला पर मैं उनका भूरि-भूरि अभिनन्दन करती हूँ । उनके स्वस्थ, सुदीर्घ जीवन की सत्कामना करती हूँ । निश्चय ही महासती हम सबके लिए अध्यात्मयोग एवं साधना की प्रेरणास्रोतस्विनी हैं, जिनकी भावोद्वेलनमयी तरंगे हमें साधना की दिशा में अग्रसर होने में सदैव संबल प्रदान करती हैं ।
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