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________________ श्रीमान, कंवरलालजी सा. बेताला, गोहाटी डेह (नागौर) निवासी सेठ पूनमचन्दजी एवं श्रीमती राजाबाई बेताला के यहाँ ६१ वर्ष पूर्व आनन्ददायी समय आया और उन्हें पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। होनहार सुन्दर सुपुत्र का नाम कंवरलाल रखा गया। शिक्षा व समाजसेवा में अपनी अजित की हुई सम्पत्ति का अंश सहर्ष समर्पण करने वाले श्री बेतालाजी जैनसमाज, धर्मजगत् के कंवरलाल बन गये तथा सम्पूर्ण भारत के जैनसमाज में इस रूप में प्रख्यात बन गये। बाल्यकाल से व्यवसाय एवं सेवाओं में प्रतिभा एवं सहज रुझान होने से बेतालाजी बढ़ते गये और इसी रूप में उन्होंने अपना अर्जन समाज को मुक्तहस्त से वितरित किया एवं इन प्रगति-चरणों पर खूब आगे बढ़े। आप स्थानकवासी जैन संघ (पूर्वांचल), श्री श्वे. स्था. जैन संघ गोहाटी, श्री आगम प्रकाशन समिति ब्यावर, मुनि श्री हजारीमल स्मृति प्रकाशन समिति ब्यावर के अध्यक्ष हैं तथा अ. भा. चार्तुमास सूची प्रकाशन, बम्बई के उपाध्यक्ष हैं । इसी प्रकार अखिल राजस्थान अहिंसा प्रचार संघ चित्तौड़गढ़, श्री महावीर स्वास्थ्य केन्द्र इन्दौर, श्री नेमिनाथ ब्रह्मचर्याश्रम चांदवड, भारत जैन महामण्डल बम्बई, श्री प्राणीरक्षा समिति इन्दौर के संरक्षक हैं। पूर्वोत्तर मारवाड़ी सम्मेलन महिला कोष गोहाटी, वर्द्धमान महावीर बाल निकेतन माउन्ट आबू, अनाथ गोरक्षा समिति डेह (नागौर) के ट्रस्टी हैं तथा श्री श्वे. स्था. जैन काँमस दिल्ली के कार्यकारिणी के सदस्य हैं। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती बिदामबाई, सुपुत्र श्री धर्मचन्दजी तथा इनकी पत्नी श्री मोहनीदेवी अपने कुलगौरव को अक्षुण्ण रखकर उसकी कीति बढ़ाने वाले हैं। सुपुत्रियाँ श्रीमती कान्ता कोचर एवं मान्ता सोनावत अपने पतिग्रह में तथा सुपौत्र चि. महेश, मुकेश आदि सभी इन संस्कारित पदचिह्नों का अनुसरण करते हुए समाज एवं धर्म सेवाओं में अग्रसर हैं। आप पू. महासतीजी के अनन्य भक्तों में से हैं। फाईनेंस व्यवसायी श्री बेतालाजी एवं उनका परिवार स्वाध्याय, सामायिक, संवर समाजसेवाओं में सोत्साह आगे बढ़ते ही रहें यही शुभकामनायें प्रेषित हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में आपका उदार सहयोग मिला, इसके लिये हार्दिक धन्यवाद । 00 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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