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________________ पंचम खण्ड / २०२ । अर्चनार्चन । गले की थायराइड एवं पैरा थायराइड ग्रंथियों से निकलनेवाले रसों से बालकों का विकास, युवकों का असमय में बाल न गिरना, शरीर में प्रसन्नता रहना, अन्य ग्रंथियों को सजग रखना आदि सभी कार्य योगासनों से सम्पन्न किये जा सकते हैं । (१४) शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आत्मिकविकास के लिये योग पद्धति ही सर्वोत्तम कारगर है । अन्य पद्धति अपूर्ण व दोषपूर्ण है। इस प्रकार आज के भौतिक चकाचौंध व प्रदूषणों के युग में हम केवल योगासनों प्राणायाम प्रादि नैसगिक सहन सुगम क्रियाओं द्वारा ही स्वस्थ प्रसन्न स्वाभिमानपूर्वक रह सकते हैं । एक स्वस्थता हजार निधियों से बढ़कर है तथा आज इसकी संपूर्ण मानवता को अत्यधिक आवश्यकता है। ____ हम स्वस्थ रहें और नैतिक व अध्यात्मिक शक्ति को पाकर सहज ही मृत्यु से अमृत की ओर बढ़े और सबको बढ़ाएँ। १२४-तिलक नगर इन्दौर-४५२००१ 00 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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