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[ हजारीमल बांठिया
उससे अधिक मैं अपनी शक्ति का लोगों को लाभ दे सकता हूं। यह साहित्यिक कार्य तो और भी करते रहेंगे । आगामो २-४ महिने में इसी मनोमन्थन में व्यथित रहूंगा ऐसा मालूम दे रहा है । सो क्या हैं यह तो . आप कभी मिलेंगे जब समझेंगे।
मेरे मन में बहुत समय से यह बात घुल रही है कि चित्तौड़ में जिनदत्तमूरिजी की स्मृति में कोई छोटा-बड़ा स्मारक स्थापित करना चाहिए । खरतरगच्छ के गौरव की निदर्शक कोई वस्तु हमें करना चाहिये जैन इतिहास की अमरता के लिए ऐसा कोई प्रयत्न करना बहत आवश्यक है। वरना सब काल के प्रवाह में विलुप्त हो जायगा और प्रब बहुत ही शीघ्र वैसा विनाश होगा ।
अब यह शरीर कहां तक काम करेगा कह नहीं सकता। मन तो वैसे ही दौड़ता रहता है और ज्योंज्यों नये ग्रन्थ हाथ में आते रहते हैं त्यों-त्यों उनका उद्धार करने का मनोरथ भी बढ़ता ही रहता है परन्तु आयुष्य तो अब अपने अन्त के समीप पहुंच रहा है । न मालूम वह किस दिन समाप्त हो जायगा-सो इसका विचार आते ही मन को दूसरी तरफ भी सोचना पड़ता है। करीब ५८ वर्ष हो चुके । कार्यकाल प्राय. पूरा होने का समय समझा जा सकता है। जितना भी आयुष्य अब हो वह विशेष ही समझना चाहिए। और इस लेखन, संशोधन के सतत परिश्रम से शरीर को जो क्षति पहुँच रही है वह तो विचार के बाहर की बात है। इस कार्य ने मेरे आयुष्य के कम से कम २ वर्ष तो यों ही खा लिए हैं। डाक्टर लोग वर्षों से मुझे कह रहे हैं कि तुम्हें ६-१० वर्ष और जीना हो तो इस परिश्रम को सर्वथा छोड़ दो परन्तु मैं इसका व्यसनी जो रहा-छोड़ा कैसे जाय सो ही कल्पना में नहीं आता।
बम्बई १४-१०-४६
- इसी वर्ष ता० २०.२१-२२ को नागपुर में प्रॉल इण्डिया ओरिएन्टल कोन्फरेन्स है। मुझे प्राकृत विभाग का उन्होंने अध्यक्ष भी नियुक्त कर रखा था-परन्तु मेरा जाना कठिन हो गया।
कलकत्ता
३०-३-४७ यहां पर कल भी सुनीति बाबू मिले थे। वे भी उदयपुर होकर आये हैं और उनके अध्यक्षत्व में उन लोगों ने निर्णय किया और मुझे दबाव कर रहे हैं । मुझे यह सर्वथा पसन्द नहीं है । मैं तो काम चाहता हूं । राजस्थान की कुछ उपयुक्त सेवा कर सकू तो सार्थक हो-नहीं तो खाली पाडम्बर का क्या अर्थ है ?
बम्बई
३-६-४७ प्रापने अखबारों में पढ़ा ही होगा उदयपुर में प्रताप विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। श्री कन्हैयालाल मुशी और मैंने इसका प्रयत्न किया है और उसमें असाधारण सफलता मिली है। मेरा अब रहना प्रायः उदयपुर में अधिक होगा । उदयपुर का आकियोलोजिकल डिपार्टमेंट वगैरह बहत बड़े पैमाने पर
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