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श्री गौड़ी पार्श्वनाथ तीर्थ
अधविच रह्या देहरा आज थी रे, जग मां नाम रह्यो निरधार रे । नगरी में बात घर घरविस्तरी रे, सह को ना दिल मि आव्यो खार रे ॥७॥फि०।। द्वष राखी ने मेघो मारीयो रे, ए तो काजल कपट भंडार रे। मन नो मैलो दीठो एहवो रे, इम बोलै छै नर नै नार रे ॥८॥फि०॥
ढाल-१३ पूरब पुण्ये पामिय-ए देशी बेहनी अगनि दाह देइ करी, आव्या सहु निज ठाम हे । बैहनी काजल कहै तु मत रोए, न करु एहQ काम हे ।ब०॥१॥ लेख लख्यो ते लाभीय, दीजै किण नै दास हे बै० जनम मरण हाथे नथी, खोटी माया जाल हे वै ॥२॥ले०॥ एह संसार छै कारमो, खोटी माया जाल हे बै० एक आवे ठाली भरी, जेहवी अरट नी माल हे बै० ॥३॥ले०।। सुख दुख सरज्यां पामिय, नहिं छै कोई नै हाथ हे बै० म कर फिकर तु आज थी, बहुली आपने अाथ हे बै० ॥४॥ले०।। खायो पीयो सुख भोगवो, न करो चिंत लगार हे बै० जे जोइ इ ते मुझनै कहो, न करो दिल में विचार हे बै० ॥शाले०।। जिन नो प्रसाद कराविसुमितस राखीसु माम हे बै० इजत आपण कर तणी, खोसु किम करि नाम हे बै० ॥६।।ले०।। सोढां में हाथे सुपीसु, गौड़ीपुर ए गाम हे बै० चालो आपण सहु तिहां, हुं लेई प्रावू नाम हे बै० ॥७॥ले०॥ अनुक्रम पाव्या सहु मली, गौड़ीपुर गाम मझार हे बै० जिन नो प्रसाद करावियौ, काजल सा तिण वार हे बै० ॥॥ले०॥
ढाल-१४ करेलडां घड़ दे रे-ए देशी देहरै सखर भढावीयो, थर न रहै तिण वार । काजल मन मां चिंतवै, हवै कुरण करवो प्रकार ।।१।। भविक जन सांभलो रे, मुकी मन नो अमलोरे ।भांकणी।। बीजी वार चढावीयो, प. हेठो ततकाल । सोहणा मां जक्ष प्राविनै, कहै मेरा नै सुविसाल ।।भ०॥१॥ तु चढावे जाय नै थिर रहस्यै सर तेह । काजल ने जस किम होवै मेघो मार्यो तेह ।।भ०॥३॥ मेरें सखर चढावियौ, नाम राख्यो जग मांहे। मुरत थापी पासनी, संघ पावै उच्छाह ।।भ०।।४।।
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