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भारतीय कला के मुख्य तत्त्व
५. मौर्य युग --लगभग – ३२५ - १८४ ई० पू० ६. शुग काल - लगभग १८४ -- ७२ ई० पू० . ७. काराव वंश - लगभग – ७२ -- २७ ई० पू० ८. बाहूलोक - यवन और भद्रक यवन - लगभग २५० - १५० ई० पू० ६. शहरात शक - लगभग प्रथम ई० पूर्व - ३६० ई० १०. सातवाहन वंश - लगभग २०० ई० पू० - २०० ई० ११. शक कुषाण - लगभग ८० ई० पू०-दूसरी शती ई० १२. आन्ध्र देश का इक्ष्वाकुवंश-तीसरी शती ईस्वी १३. गुप्त युग -लगभग ३१६ ई० -६०० ई० १४. चालुक्य युग - लगभग – ५५० ई० - ६४२ ई० १५. राष्ट्रकूट यूग-लगभग ७५३ ई०-६७३ ई० १६. पल्लव वंश-लगभग ६०० ई०-७५० ई० १७. चोल युग-लगभग ६००-१०५३ ई० १८. पांड्य वंश -- लगभग १२५१ ई०-१३१० ई. १६. होयसल वंश --- १२-१३ वीं शती २०. विजयनगर वंश -- लगभग १३३६-१५६५ ई० २१. उड़ीसा के गंग और केसरी वंश -- ११वीं से १३वीं शती २२. मगध का पाल और बंगाल का सेनवंश --- लगभग हवीं से १२वीं शती २३. गुर्जर प्रतिहार वंश - ७५०-६५० ई० . २४. चन्देल वंश-६००-१००० ई० २५. गाहड़वाल--१०८५-१२०० ई० २६. सोलंकी वंश - ७६५-१२०० ई.
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कला के प्रांदोलन एक समय जन्म लेकर फलते फलते और वृद्धि को प्रात होते हैं । जल तरंगों की भांति वे अपना वेग दूसरे युग की प्रेरणानों को सौंप कर विलीन हो जाते हैं । कला के तिथिक्रम को इसी उदार भाव से देखना चाहिए । राजाओं के छत्र या नृपावली के पर्यवसान के साथ कला का प्रवाह ठप्प नहीं हो जाता । ऊपर जिस तिथि-क्रम का उल्लेख है, उसमें सिंधु घाटी से लेकर नन्द युग वंश के पूर्व तक भारतीय कला का प्राय युग है । तदुपरान्त मौर्य काल से हर्ष के समय तक उसका मध्य युग है, जो उसके समुदीर्ण यौवन का युग है। इसके भी दो भाग हो जाते है। एक के अन्तर्गत मौर्य, युग, कराव और पूर्व सात-वाहन युग की महान कला कृतियां हैं । इस पूर्व युग में कला के अंकुर भिन्न २ प्रदेशों में उठाव ले रहे थे । सारनाथ, भरहुत, सांची, बोधगया, अमरावती, भाजा, उसी के रूप हैं । इस
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