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(२) "हामलदा "
वागड़ के बांसवाड़ा के अंतर्गत आज के तलवाड़ा का प्राचीन नगर तलकपुर पाटण नाम से विख्यात था । वह चौहान वंश को राजधानी था । हामलदा या सामंतसिंह वीर राजा का शासनकाल था । उस समय एक क्षत्रिय दूसरे से लड़ने पर आमादा रहता था । मेवाड़ और डूंगरपुर के बीच की सोम नदी को लेकर दोनों राज्यों में झगड़ा चल रहा था । महाराणा भारी फौज लेकर जेतारणा होते हुए सोम नदी पर आ गये और डूंगरपुर की सरहद में ग्रासपुर गाँव की धोलीवाव पर पड़ाव डाला । गोल और रामा गाँवों की वापिकाओं के रहेंट जलाकर रसोई बनाई और अत्याचार शुरू किये। यह स्थिति देखकर राम-गोल गाँव का एक श्रीगौड़ ब्राह्मण जिसकी हाल ही में शादी हुई थी वह मौड-मींढल छोड़े बिना ही भागा-भागा तलकपुर पाटण पहुँचा । उस समय समग्र वागड़ सहित मेवाड़ के छप्पन के इलाके पर सामंतसिंह का श्राधिपत्य था, मेवाड़ में (राणा) श्री दिवान के रूप में शासन चलाते थे । ब्राह्मण जाकर 'हामलदा' को हकीकत कह सुनाई । इस पर सामंतसिंह मुकाबले को आया और दोनों पक्षों में भीषण संग्राम हुआ । हजारों वीर खेत रहे और खून की नदियां बह चली । इतना खून बहा कि सवा सेर का पत्थर मी लहू की धारा में बह चला | इस ऐतिहासिक गाथा का शौर्य गीत वागड़ी बोली में व्यापक है
"एसि ने अज़ारे दल दिवण नु हो राजे जो-२ घोलिने वावे रे भंडा ज़िकिया हो राज़ जो - २ रेंटड़ा भागि ने रसोइ करि जेंगे ठामे ज़ो - २ राम ने गोल नो ग्रामण सिगेड़ो हो राज जो - २ तरत नो परण्यो ने श्राते मेंडोल हो राज़ जो-२ गले ने गोपे ने खांदे डेंगड़ि हो राज़ जो-२ श्रेणि ने तरे तो भ्रामरण सालियो हो ने दौड़तो ने धामतो आवियो तलवाड़े हो परवाले पणियारिये पाणि भरें जेंगे धिरो ने ₹ ने सिगड़ो ओसर्यो हो
राज े जो-२ राज़ जो-२
ठामें जो - २
राज जो - २
हाँबल ने सबल ने बेनि वाते मारि हो राजे जो-२
मने ने भालो ने धणि नँ दरिखान जेंगे ठामे जो - २ धिरि ने ₹ ने परिणमरि बोलि जेणे ठामें जो २ जमणो ने मेलजे माजन-वाड़ो जेंणे ठामे जो-२ ने डाबो ने मेलजे सुलाट-वाड़ो जेंगे ठामे जो-२ सोरा नि बड़िये मकनो झुले जेणे राजे जो-२ सन्मुक बेटु रे घरण नुं दरिखानु हो राजे जो-२ भुरियँ हैं मोंड ने मोसे वॉकड़ि हो राजे जो-२ अणि ने तरे ना सोमण बेटा जेंगे ठामें जो-२ ढालँ नि टेंगे जाजेम टूटे जेंगे ठामें जो - २"
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प्रो० डॉ. एल. डी. जोशी
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