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श्रद्धा स्निग्ध समर्पण
जिनका चेतनाशील व्यक्तित्व,
अमृत सागर की भांति,
अगाध एवं अपार है । जिनका सृजनशील कृत्तित्व,
अनन्त अन्तरिक्ष के समान,
अप्रतिम एवं अनुपम हैं । जिनका प्रभावपूर्ण प्रवचन,
क्रान्ति और शान्ति का,
परम पावन प्रतीक है । जिनका प्रेरणास्पद संगीत, जन-जीवन में नव-चेतना का,
अभिनव संचार करता है । जिनका पावन शरण,
कल्पवृक्ष की भांति,
आत्मिक प्रानन्द प्रदान करता है । जिनका दिव्य - सन्देश,
अन्तश्चेतना के जागरण हेतु,
वरदान का अक्षय निधान है । उन अनन्त प्रास्थाओं की साकार-प्रतिमा, परमाराध्या गुरुवर्या श्री कुसुमवती जीम०के,
पाणि-पदमों में सश्रद्धा सभक्ति,
सादर सर्वात्मना समर्पण ।
विनयावनतासाध्वी दिन्यप्रभा
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