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"विचार-मंथन" सातवां खण्ड अपने आप में एक अद्भुत रोचकता, नवीनता और बोधशीलता लिए हुए है । पूज्य गुरुणी जी महासती कुसुमवती जी के अभिनन्दन-ग्रन्थ में उनके विचार-चिन्तन का आस्वाद न मिले, उनके प्रेरक प्रवचनों की प्रेरणा न पाये तो यह ग्रन्थ-आयोजन अपने आप में अपुर्णता प्रकट न करेगा? इस अपूर्णता की परिपूर्णता का प्रयास है. इस खण्ड में।
पूज्य गुरुणी जी की विदुषी शिष्या डा० साध्वी दिव्य प्रभा जी आदि द्वारा संकलित/संग्रहीत/संपादित पूज्य महासती जी के विचार - मन्थन से प्राप्त नवनीत यहाँ सर्वसाधारण के लिए सुलभ है ।
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