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साहित्य वह दर्पण है, जिसमें संस्कृति, शिक्षा, इतिहास और परम्परा की गति, प्रगति, चिन्तन-मनन, वर्तन-व्यवहार का समग्र प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है। समाज विकास का इतिहास लिखने वाला साहित्य की धरोहर का पर्यालोचन करके ही स्पष्ट दिशा-दर्शन पाता है।
पुरातत्व के आलेख, स्तोत्र एवं भक्ति साहित्य, काव्य, आगमों की टीका एवं व्याख्या ग्रन्थों में विकीर्ण गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, मनोविज्ञान, परामनोविज्ञान के सूचक सारपुर्ण सन्दर्भ, नीति एवं अध्यात्म की मान्यताएं, भाषा, योग एवं विज्ञान मूलाधारित अवधारणाएँ।
इन सभी का एक तथ्यपरक अध्ययन, अनुशीलन और निष्कर्ष परायण चिन्तन-प्रस्तुत खण्ड में संग्रहीत है। अपनेअपने विषय के ख्याति प्राप्त विशिष्ट विद्वानों के मौलिक लेखों में।
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