________________
-
३५७
SMARAN
-
३७५
३७८
३६३
४०३
४१३
( २७ ) पंचम खण्ड
३५७ से ४३६ जैन साहित्य और इतिहास भारतीय पुरातत्व की अवहेलना -डॉक्टर जगदीशचन्द्र जैन आकार-चित्र रूप स्तोत्रों का संक्षिप्त निदर्शन -डॉ० रुद्रदेव त्रिपाठी भारतीय गणित के अंध युग में जैनाचार्यों की उपलब्धियाँ -डॉ० परमेश्वर झा
३६६ जैन भूगोल का व्यावहारिक पक्ष -डॉ. पुष्पलता जैन प्राध्यापिका भगवती सूत्र में परामनोविज्ञान एवं
पराशक्तियों के तत्व -श्री सौभाग्यमुनिजी 'कुमुद' जम्बूद्वीप और आधुनिक भौगोलिक मान्यताओं का तुलनात्मक विवेचन -डॉ. हरीन्द्रभूषण जैन
३८३ जैन-स्तोत्र-साहित्य : एक विहंगम दृष्टि -डॉ. गदाधरसिंह नीतिकाव्य के विकास में हिन्दी जैन
मुक्तक काव्य की भूमिका -डॉ० गंगाराम गर्ग जैनाचार्य श्री हरिभद्र सूरि और
श्री हेमचन्द्र सूरि --हजारीमल बाठिया जैन परम्परा के व्रत उपवासों का आयुवैज्ञानिक वैशिष्ट्य -कन्हैयालाल गौड़
४१६ आचार्य हरिभद्र के प्राकृत योग
ग्रन्थों का मूल्यांकन -डॉ० छगनलाल शास्त्री
पुण्य और पाप -महासती श्री कुसुमवती जी षष्ठम खण्ड
४३७ से ४७४ विविध राष्ट्रीय सन्दी में जैन-परम्परा की परिलब्धियाँ भारतीय स्वातन्त्र्यान्दोलन की अहिंसात्मकता -प्रह्लाद नारायण बाजपेयी
में महावीर के जीवन दर्शन की भूमिका पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में जैन नैतिक __ -प्रोफेसर एल० के० ओड
अवधारणा विवाद-परिवाद के समाधान हेतु -प्रो० डॉ० संजीव प्रचंडिया 'सोमेन्द्र'
अनेकान्तवाद जैन विचारधारा में शिक्षा __-चांदमल कर्णावट
क्या हम बदल गये हैं ? -डा० आदित्य प्रचडिया 'दीति' सर्वोदयी विचारों की अवधारणा के प्रेरक -लक्ष्मीचन्द जैन 'सरोज'
जन-सिद्धान्त ध्यान : एक विमर्श -डॉ० दरबारीलाल कोटिया, न्यायाचार्य ४६५ सती प्रथा और जैन धर्म -प्रो० सागरमल जैन
४३७
४४९ ४५६ ४५६
प
४८
Des.
साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ )
Education Internatio
GOKEVEN
www.jaimelinestly.org
Sor Private & Personal Use Only