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इन शोध निबन्धों में धर्म की वैज्ञानिक दृष्टि और जीवन स्पर्शी भूमिका प्रकट होती है तो विज्ञान के साथ धर्म का समेल करने वाली अधुनातम प्रशा का चिन्तन भी स्फुरित है।
संस्कृति-हमारी वह विराट अमूल्य निधि है, जो चक्रवर्ती की मव निधियों की भांति समग्न परम्परा, इतिहास, चिन्तनबोध, चारित्रिक गुण, शिक्षा, संस्कार, व्यवहार नीति आदि सर्वागीण मानवीय बिकास बोर बौद्धिक प्रगति को अभिव्यंजना देती है।
जैन संस्कृति, बमण संस्कृति के रूप में हिंसा, अनेकांत, सर्वोदय विचार, अध्यात्म प्रधान, साहित्यिक अभिरुचि, नैतिक उन्नयन, राजनीति पर धर्म नीति का वर्चस्व आदि बहुआयामों को उद्घाटित करने वाली संस्कृति है। अपने-अपने विषयों के विशेषज्ञ विद्वान, विचारक, शोध छात्र बादि द्वारा लिखित ये गवेषणा प्रधान निबन्ध पाठकों के लिए ज्ञानवर्दक एवं विचारो. तेजक मननीय सामग्री प्रस्तुत करेंगे।
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