________________
महासती श्री कुसुमवती जी म. सा. का धर्मपरिवार
ऐसा कहा जाता है कि यदि गुरु योग्य होता है शुक्ला पंचमी दिनांक २१ फरवरी सन् १९६६ को तो उसके शिष्य भी योग्य हैं। यह कहावत नाथ द्वारा में दीक्षा ग्रहण की। बाल ब्रह्मचारिणा महासताना कुसुमताजा मता- आपने संस्कृत, प्राकत, हिन्दी भाषाओं का
के सम्बन्ध में सत्य चरितार्थ होती है। जिस प्रकार उच्चस्तरीय अध्ययन किया। आपने जैन सिद्धांतों | आपने अपने जीवन में ज्ञानाराधना कर ज्ञान अजित का भी गहन अभ्यास किया है। आपने हिन्दी
या है, आर अपना प्रातभा का विकास किया ह, साहित्यरत्न, जैनदर्शन में शास्त्री. पाथर्डी बोर्ड
उसी के अनुरूप आपने ज्ञानार्जन हेतु अपनी की सिद्धांताचार्य आदि परीक्षाएँ उत्तीर्ण कर उपाE८ शिष्याओं/प्रशिष्याओं के लिये भी व्यवस्था करने का धियां प्राप्त की। जैनागमों और दर्शन साहित्य का
सदैव ध्यान रखा । ज्ञानाभ्यास के लिए आपने उन्हें भी अध्ययन किया है। समय और सुविधा भी उपलब्ध करवाई। इसका
आपकी प्रवचन, गायन, विचरण और लेखन Cी परिणाम यह है कि आपकी समस्त शिष्याएँ/प्रशि
कार्य में विशेष रुचि है। आपके द्वारा लिखित/ STI ष्याएँ विदुषी, विवेकशीला और वाक्पटु हैं । संयमा| राधना में भी सभी एक से एक बढ़कर है । दूसरा
संकलित पुस्तकें हैं -चारित्र सौरभ, कुसुम चारित्र ( उल्लेखनीय तथ्य यह है कि सभी सरल स्वभावी
स्वाध्याय माला, कसुम चरित्र नित्य स्मरण माला और विनयशीला तथा सेवाभावी हैं।
चारित्र ज्योति आदि ।
आपकी प्रेरणा से अनेक संस्थाओं की स्थापना - तीसरी उल्लेखनीय बात यह है कि सभी ने
भी हुई है जिनमें-महिला मण्डल, चांदनी चौक, GI महासती जी के वैराग्योत्पादक प्रवचनों से प्रभावित
दिल्ली, धार्मिक पाठशाला, अमी नगर सराय, जैन होकर संयम व्रत अंगीकार किया और चौथी विशे
वीरवाल संघ, दोघट, जैन वीर बालिका संघ, षता यह है कि सभी बाल ब्रह्मचारिणी हैं । पांचवां
कांधला, प्रमुख हैं। वैशिष्ट्य यह है कि इस सिंघाड़े में दो साध्वियाँ । Ph. D. उपाधि से विभूषित हैं। ऐसा सिंघाड़ा
आपकी पांच शिष्यायें हैं-(१) श्री दर्शनप्रभा शायद ही अन्य कोई दूसरा हो।
जी म., (२) श्री विनयप्रभा जी म., (३) श्री इस परिप्रेक्ष्य में हम महासती जी के धर्म परि
रुचिकाजी म., (४) श्री राजश्रीजी म. और (५) 5 वार का संक्षिप्त परिचय यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं।
श्री प्रतिभा जी म.। (१) महासती श्री चारित्रप्रभा जी म. सा.-... आपने राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, P आपका जन्म उदयपुर जिले के ग्राम वगडन्दा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, दिल्ली आदि प्रदेशों में विचनिवासी श्रीमान् कन्हैयालालजी छाजेड़ की धर्म- रण कर धर्म का प्रचार किया है। पत्नी सौभाग्यवती हंसा देवी छाजेड़ की पावन कुक्षि महासती (डा.) दिव्यप्रभाजी म. सा.-आपका से श्रावण कृष्णा अमावस्या सं. २००५ के दिन जन्म उदयपुर निवासी श्रीमान कन्हैयालाल जी हुआ। आपका जन्म नाम हीराकुमारी है। सियाल की धर्मपत्नी सौभाग्यवती चौथबाई की है आपने उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. सा. को पावन कुक्षि से वि. सं. २०१४ मार्गशीर्ष शुक्ला
अपना गुरु बनाकर परम विदुषी महासती श्री कुसुम दशमी दिनांक ३० नवम्बर १९५७ को हुआ था। वती जी म. के सान्निध्य में सं. २०२५ फाल्गुन संसार पक्ष से आप महासती श्री कुसुमवती जी म.
१७६
द्वितीय खण्ड : जीवन-दर्शन
-AA
35.
साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ