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अभिनन्दन किक्तका व्यक्ति का, या गुणों का ?
चूँकि गुण व्यक्ति आधारित होते हैं, गुणों की अभिव्यक्ति का आधार व्यक्तित्व ही है । व्यक्तित्व का संदर्शन ही गुणों की प्रतीति कराता है, अतः अभिनन्दनीय गुणों को व्यक्ति या व्यक्तित्व के माध्यम से ही उजागर कर अभिनन्दित किया जा सकता
है।
पूज्य महासती श्री कुसुमवती जी का व्यक्तित्व अनेक सद्गुणों का पुंजीभूत/ घनीभूत जीवन्त रूप है । उनका सहज सौम्य जीवन विनम्रता, सरलता, श्रुतउपासना, गुणज्ञता, त्याग एवं सेवा-भावना आदि ऐसे अनेक दुर्लभ और प्रेरक सद्गुणों को प्रकट करता है, जिनको देख/अनुभव कर श्रद्धावश मस्तक विनत हो जाता है, हृदय गुण-विभोर होकर धन्य-धन्य कह उठता है, वाणी मुखर होकर प्रशस्ति गान गाने लगती है।
महासती जी का व्यक्तित्व श्रद्धा भाजन है । श्रद्धेय के प्रति हृदय की सहज स्फुरणा होती है, वन्दना के रूप में । हजारों श्रद्धालुओं की श्रद्धा के शब्द-सुमन ग्रथित होकर बन गया है यह ग्रन्थ-कुसुम अभिनन्दन-ग्रन्थ ।
इस ग्रन्थ के संयोजन-संपादन में कुशल विदुषी साध्वी दिव्यप्रभाजी एवं उनकी सहयोगिनी आर्याओं का श्रम 'श्रद्धाध्य के रूप में युग-युग तक प्रेरक और पथदर्शक रहेगा, इस ग्रन्थ राज के रूप
-राजेन्द्रमुनि
मूल्य : एक सौ एकावन रुपया मात्र
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