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ग्रन्थ की प्रधान सम्पादिका डा. साध्वी दिव्य प्रभाजी अपने विचारों को व्यक्त करती हुयीं !
कुसुम अभिनन्द
ग्रन्थ अवलोकन करती हुयी साध्वी वृन्द, विदुषी श्री प्रेम कुंवरजी श्री अनुपमाजी श्री निरूपमाजी, श्री रुचीकाजी श्री गरिमाजी श्री चारित्र प्रभाजी आदि !
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