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भँवरलाल दस्सानी
की ख्याति इतनी अधिक हुई कि हम अब सभी कक्षओं में आये हुए प्रवेशार्थियों को दाखिल नहीं कर पा रहे हैं। कक्षा १० तथा कक्षा १२वीं के की छात्र उच्चतम अंक पाने के कारण छात्रवृत्तियाँ भी पा रहे हैं। बच्चों का मानसिक स्तर दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। अत: उनकी चाह भी ऊँचे से ऊँचा गौरव पा लेने की है। उनकी इच्छा फलीभूत होगी, ऐसा मेरा विश्वास है क्योंकि जहाँ चाह है वहीं राह भी है। विद्यालय के गौरवमय दशक और सभा की कौस्तुम्भ जयन्ती पर होने वाले आयोजनों की सफलता की मैं हार्दिक कामना करता हूँ।
पूर्व कोषाध्यक्ष श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा
उल्लेखनीय प्रगति आज तकनीकी शिक्षा के कारण विश्व अत्यन्त समीप आ गया है। हम यहाँ बैठे-बैठे यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया में बैठे हुए व्यक्ति से बात कर सकते हैं। इन्टरनेट द्वारा हम जिससे बात करते हैं उसका चित्र भी देख सकते हैं। इस प्रकार ज्ञान-विज्ञान की प्रगति के कारण आज भारतवर्ष काफी आगे हो गया है। यहाँ के बच्चे विश्व के कोने-कोने में अपनी प्रखर बुद्धि का परिचय दे रहे हैं।
हमारे देश की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण लोग समझते थे कि हम विज्ञान की दौड़ में पीछे रह जाएंगे लेकिन हमारे बच्चों ने कमाल करके दिखाया। इस प्रकार हमारा मस्तिष्क पक्ष तो बढ़ता गया मगर हृदय पक्ष सूना होता जा रहा है। व्यक्तिगत स्वार्थपरता बढ़ती जा रही है। इसी के साथ मनुष्य का मन छोटा होता जा रहा है। वह परोपकार एवं दीन दुःखियों की सेवा से मुख मोड़ता जा रहा है, यह समाज के लिये एक अच्छी बात नहीं है।
लेकिन आज भी दुनिया अच्छे विचार वाले आदमियों से खाली नहीं हो गई है। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए श्री स्थानकवासी जैन समाज के तत्कालीन नवयुवकों ने इस सभा की स्थापना सन् १९२८ ई० में की। इस सभा की कौस्तुभ जयन्ती भी इसी वर्ष मनाई जा रही है। इस जयन्ती के साथ ही सभा श्री जैन विद्यालय, हावड़ा का भी गौरवमय दशक मनाने जा रही है। योग्य शिक्षकों तथा प्रधानों के दक्ष पथ-प्रदर्शन से अत्यन्त अल्प समय में इस विद्यालय
सभा खण्ड/१५
शिक्षा-एक यशस्वी दशक
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