________________
मोहनलाल भंसाली
वर्तमान काल में विद्या का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। विज्ञान के विकास के साथ-साथ इस सम्पूर्ण जगत का विकास हो रहा है। चारों ओर विज्ञान एवं विद्या का ही बोलबाला है। विद्या एवं विज्ञान के निर्माण से लेकर विकास तक, प्रचार से लेकर प्रसार तक 'आज के विद्यार्थी' का अभूतपूर्व योगदान रहा है।
आज मानव जाति के विकास के उपरांत / पश्चात् भी किसी विद्यार्थी के लिए विद्या ग्रहण करना आसान नहीं अपितु अधिक जटिल एवं दुर्गम से गया है। आज के विद्यार्थी का जीवन कठिन हो गया है। उच्च शिक्षा प्राप्त कर नौकरी प्राप्त करना बहुत मुश्किल हो गया है। विद्यार्थियों की इन्हीं कठिनाइयों को मद्देनजर रखते हुये आज से करीब ७० वर्ष पूर्व श्री जैन विद्यालय, कोलकाता जैसे अनुपम शिक्षा संस्थान की स्थापना हुई थी। यह संस्थान अपने आप में अनूठा, सर्वोच्च एवं सर्वश्रेष्ठ है।
श्री जैन विद्यालय, कोलकाता में विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ अनुशासन का अमूल्य पाठ भी पढ़ते हैं। इस विद्यालय के शिक्षक, प्राध्यापक आदि उच्च श्रेणी के हैं। विद्यार्थियों को पढ़ाने में निष्णात शिक्षक अनुशासन प्रिय हैं। इन्हीं के लगन एवं मेहनत की वजह से इस विद्यालय का वार्षिक परीक्षाफल पिछले दो दशक
शिक्षा - एक यशस्वी दशक
श्री जैन विद्यालय और आज का विद्यार्थी
Jain Education International
से शत प्रतिशत रहा है जिसका मीठा फल इनसे विद्या ग्रहण करने वाले विद्यार्थी पाते हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी के निरन्तर बढ़ते विकास को देखते हुये इस संस्थान में कम्प्यूटर आदि जैसे नये उपकरणों की स्थापना भी मेरे अध्यक्षकाल में कराई गई इस वक्त यह संस्था नवीन उपकरणों एवं यन्त्रों से लैस है।
शिक्षा के क्षेत्र में "श्री जैन विद्यालय" ने क्रांति ला दी है। इस विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाला विद्यार्थी इस विद्यालय के प्रति आभारी है।
शिक्षा के क्षेत्र में "श्री जैन विद्यालय" के अद्वितीय योगदान के प्रति मैं नतमस्तक हूँ। श्री जैन विद्यालय, हावड़ा भी अपनी एक दशक की शिक्षा यात्रा पूर्ण कर चुका है, यह गर्व एवं गौरव की बात है। मैं इस अवसर पर हार्दिक शुभकामना व्यक्त करता हूँ एवं शिक्षा एक यशस्वी दशक की सफलता चाहता हूँ।
1:
For Private & Personal Use Only
पूर्व अध्यक्ष श्री जैन विद्यालय, कोलकाता
सभा खण्ड / १०
www.jainelibrary.org