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________________ 0 सरदारमल कांकरिया म आज हावड़ा के लोकप्रिय स्कूलों में श्री जैन विद्यालय की गणना प्रथम रूप में होती है। लगभग १०० सुयोग्य शिक्षकों की देखरेख में इस समय ४२०० छात्र-छात्राएँ अध्ययनरत हैं। सभी धर्म के विद्यार्थी प्रेमपूर्वक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। बहुत कम फीस में अच्छी शिक्षा इस विद्यालय में विद्यार्थी को दी जाती है। करीबन २०० विद्यार्थी बिना शुल्क के भी शिक्षा पाते हैं। स्कूल में एक शानदार अतिआधुनिक कम्प्यूटर कक्ष है, १५००० पुस्तकों की विशाल लाइब्रेरी है, मल्टीमीडिया कम्प्यूटर के द्वारा प्राइमरी के छात्रछात्राओं को शिक्षा दी जाती है। स्काउट्स बैण्ड के अलावा कराटे की भी शिक्षा दी जाती है। लड़कियों को नृत्य सिखाने की व्यवस्था भी है। स्कूल का अपना एक विशाल ऑडीटोरियम है। अध्ययन अध्यापन में बिजली के अभाव में किसी प्रकार की बाधा न आये एतदर्थ जेनरेटर की व्यवस्था है। एक लिफ्ट भी स्कूल में है। __ आज दस साल व्यतीत होने जा रहे हैं। इस अल्प समय में स्कूल ने हावड़ा में विशेष स्थान बनाया है। शिक्षा के क्षेत्र में आगे हमारी योजना कॉलेज बनाने की भी है। श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा द्वारा संचालित यह विद्या मंदिर अल्प समय में अत्यन्त लोकप्रिय हो गया है। विद्यालय द्वारा अन्य जरूरतमंद विद्यालयों को फर्नीचर एवं पंखे हर वर्ष प्रचुरता से दिये जाते हैं। पिछले २ वर्षों में ४ कम्प्यूटर सेन्टर भी विद्यालय द्वारा स्थापित किये गये हैं। देवरिया गर्ल्स स्कूल में २ कमरों का एक विंग भी विद्यालय के सहयोग से निर्मित किया जा चुका है। हरिराम हाई स्कूल देवरिया में साइंस की लेब्रोटरी एवं कम्प्यूटर कक्ष, जिसमें ८ कम्प्यूटर, एक प्रिन्टर तथा एक वोल्टेज स्टेबलाइजर है, इस स्कूल की ओर से चालू होकर वहाँ के छात्रों को शिक्षित करने में सहयोग दे रहा है। सागर माधोपुर (सुन्दरवन) में एक प्राइमरी स्कूल का निर्माण भी कराकर स्कूल चालू कर दिया है तारादेवी कांकरिया जैन विद्यालय के नाम से। हमारा यह अनूठा प्रयास है। इस सफलता का श्रेय विद्यार्थियों की लगन, सुयोग्य शिक्षकों के द्वारा सुन्दर ढंग से अध्यापन एवं मेहनत तथा प्रधानाध्यापिका एवं हेडमास्टर की देखरेख एवं कार्यसमिति की उचित सलाह एवं सभा के अपूर्व सहयोग से ही यह सम्भव हो सका है। जमीन मिलने से इस स्कूल को और बढ़ाने की हार्दिक भावना एवं कामना है। एक दशक की सम्पूर्ति के अवसर पर मैं सबको बधाई देता हूँ एवं विश्वास करता हूँ कि यह विद्यालय भविष्य में कीर्तिमान स्थापित करने में सफल होगा। नेताजी इन्डोर स्टेडियम कोलकाता में दिनांक १५ जनवरी, १९८४ को आयोजित श्री जैन विद्यालय के स्वर्ण जयन्ती समारोह में अतिथि पद से संबोधित करते हुए विश्वमित्र के संपादक श्री कृष्णचन्द्र अग्रवाल ने एक साहस भरी चुनौती दी थी कि श्री जैन विद्यालय, कलकत्ता तो आप लोगों के बुजुर्गों द्वारा बनाई गई संस्था है, आप लोग खुद कुछ करें तो जानें। बात बहुत पते की कही श्री अग्रवालजी ने। मीठी चुभन भी हुई। इससे कार्यकर्ताओं के मन में एक लगन जगी कि कुछ नया किया जाये। आखिर हावड़ा में स्कूल के निर्माण का निर्णय हुआ। जमीन क्रय से लेकर मकान बनाने के कठिन कार्य में श्री रतन चौधरी एवं श्री सुन्दरलाल दुगड़ का जबरदस्त सहयोग मिला। ८ महीने के अल्प समय में ही भवन तैयार कराकर मई ९२ में स्कूल चालू कर दिया गया। पहले साल ही १६०० छात्र-छात्राओं ने दाखिला लेकर हम लोगों पर जबरदस्त विश्वास प्रगट किया। इससे हम लोगों पर एक विशेष जिम्मेदारी आ गई। सुयोग्य अध्यापकों की नियुक्ति करके स्कूल प्रारंभ कर दिया। या अध्यापकों की कठोर मेहनत एवं विद्यार्थियों की लगन के कारण परीक्षाफल प्रशंसनीय रहने लगा। ३ वर्ष बाद जब विद्यार्थी बोर्ड की परीक्षा में सम्मिलित हुए तो १०० प्रतिशत परिणाम आया। फिर हायर सेकेण्डरी की मान्यता भी मिल गई और हर वर्ष परीक्षाफल १०० प्रतिशत आने से मन में अपार सन्तोष हुआ। मानद् मंत्री श्री जैन विद्यालय, हावड़ा शिक्षा-एक यशस्वी दशक विद्यालय खण्ड/७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012030
Book TitleJain Vidyalay Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherJain Vidyalaya Calcutta
Publication Year2002
Total Pages326
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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