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वरुण भंसाली, V-B
विद्यार्थी - जीवन
विद्यार्थी जीवन विद्या के अध्ययन में हमारे जीवन का प्रथम अंश है। बड़ा होने पर हमें संसार में अपनी जीविका चलाने योग्य बनाने वाली शिक्षा का नाम विद्या है।
यह समय विद्यार्थी के लिए बड़ा ही अमूल्य और नाजुक है। जिस प्रकार किसी इमारत के निर्माण के लिए मजबूत नींव की आवश्यकता होती है उसी प्रकार विद्यार्थी जीवन मनुष्य जीवन की नींव है। इस समय जैसा बीज बोया जायेगा, समय पाकर उससे वैसा ही वृक्ष पैदा होगा और उसका फल भी वैसा ही होगा। इस समय की शिक्षा का प्रभाव जीवन-भर बना रहता है। अत: विद्या या शिक्षा ऐसी होनी चाहिये जिससे जीवन मंगलमय हो।
मन लगाकर विद्या का अभ्यास करना ही विद्यार्थी का सबसे बड़ा कर्तव्य है। एक अच्छे विद्यार्थी को अपने माता-पिता, शिक्षक तथा गुरुजनों की आज्ञा और आदेश के अनुसार चलना चाहिए। परिश्रम का फल मीठा होता है। विद्यार्थी को हमेशा सच्ची लगन से मेहनत करनी चाहिये। पढ़ाई के साथ ही विद्यार्थी को अपने स्वास्थ्य और संगति पर विशेष ध्यान देना चाहिये। कुसंगति से उसका चरित्र भी नष्ट हो जायेगा और उसके विद्या-अभ्यास में भी बाधा पहुंचेगी।
किसी भी देश या जाति का भविष्य उसके विद्यार्थियों पर निर्भर करता है। अपनी संस्कृति, अपने साहित्य और अपने समाज के आदर्शों को ध्यान में रखकर विद्यार्थी को 'सादा जीवन और उच्च विचार' का उदाहरण उपस्थित करना चाहिये।
हीरक जयन्ती स्मारिका
विद्यार्थी खण्ड / ३१
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