SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 496
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७२ ज्ञानेन्द्रियों पर महामन्त्र जाप: श्वास-प्रश्वास : महामन्त्र जपः- सावधानता णमो अरिहन्ता णमो सिद्धाणं णमो आयरियाण णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं ग्रह-शांति : महामन्त्र जापः णमो अरिहन्ताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं नमस्कार महामन्त्र : वैज्ञानिक दृष्टि : साध्वी श्री राजीमतीजी सूर्य और मंगल चन्द्र और शुक्र बुध गुरु शनि, राहु और केतु Jain Education International - बांये कान पर - बांये नेत्र पर - दांये नेत्र पर -दांये कान पर -दोनों होठों पर - श्वास भरते समय - श्वास छोड़ते समय - भरते समय - छोड़ते समय - भरते समय, छोड़ते समय - ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं । - ॐ ह्रीं णमो अरिहन्ताणं । - ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाणं । - ॐ ह्रीं णमो आयरियाणं । - ॐ ह्रीं णमो लोए सव्व साहूणं । १ - माला को दाहिने हाथ में हृदय के पास रखते हुए धीरे-धीरे जप क्रिया जपें । २– एकान्त स्थान का ख्याल रखा जाये । यदि कहीं पाँच-पच्चीस व्यक्ति एक साथ बैठकर एक ही मन्त्र को एक लयपूर्वक जपते हों तो उनके साथ बैठा जा सकता है । ३ - मन्त्र को सामान्यतया बदलना नहीं चाहिये । ४- मन्त्र जप में निरन्तरता होनी चाहिए, क्योंकि लम्बा जप ही शरीर और चेतना के बीच एक नई हलचल पैदा करता है । ५- प्रारम्भिक अभ्यास के दिनों में माला अवश्य रखी जानी चाहिये । इससे मानसिक प्रतिबद्धता रहती है । जैन और बौद्ध दोनों परम्पराओं में यह उल्लेख मिलता है। माता को यत्र-तत्र नहीं रखना चाहिए। एक दूसरे के बीच माला का आदान-प्रदान भी न हो । जिस माला से जप करते हैं उसे गले में नहीं पहनें । ६ - मन्त्र जप बिना किसी कामना के होना चाहिए । ७ - माला फेरते समय सजग रहें, अन्यथा अन्तर्मुखता के बहाने आप शून्य होते चले जायेंगे । सम्भव है एक दिन निष्क्रिय अचेतन मनोभूमि पर ही खड़े रह जायें । इसलिए लम्बे जप अनुष्ठान के समय बीच-बीच में श्वास- दर्शन करते रहें । ८ - जप नियमित व निर्धारित संख्या में होना चाहिये । बीच-बीच में टूटने वाला जप यह प्रमाणित करता है कि जपकर्ता को अपने मन पर कोई नियन्त्रण नहीं है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy