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________________ खण्ड ४ : धर्म, दर्शन एवं अध्यात्म-चिन्तन له سه 8 عمر मन्त्र जप क्यों और कैसे ? मन्त्र विविध शक्तियों का खजाना है। मनोयोगपूर्वक जाप करने से वे सारी शक्तियाँ जपकर्ता में धीरे-धीरे प्रकट होने लगती है । मन्त्र जप के मुख्य लाभ ये हैं १-मन्त्र दुर्बल मन को सबल करता है। २-मन्त्र रोगी मन को स्वस्थ करता है । ३-मन्त्र तेजस् शरीर को सक्रिय एवं आभामण्डल का शोधन करता है । ४-मन्त्र चित्त की अन्तर्मुखता को बढ़ाता है। ५-विराट शक्तियों का नियोजन और दुष्ट शक्तियों का निग्रह करता है। ६--मन्त्र विचारों तथा भावनाओं का यथास्थान सम्प्रेषण करता है। ७-मन्त्र कर्म-संस्कारों, बन्धनों का विलय करता है। यद्यपि समस्या एक है मन की चंचलता की किन्तु इसके समाधान अनेक हैं। आप अपने चरित्र में जिस गुण की कमी अनुभव कर रहे हैं उसे दूर करने के लिए नमस्कार महामन्त्र का जप निम्न स्थानों पद निम्नोक्त विधि से कीजिएचैतन्य केन्द्रों पर ध्यान से लाभ णमो अरिहन्ताणं-तैजस केन्द्र पर-क्रोध क्षय (नाभि) -आनन्द केन्द्र पर-मान क्षय (हृदय) -विशुद्धि केन्द्र पर--माया क्षय (कण्ठ) - शक्ति केन्द्र पर -- लोभ क्षय । (नाभि के नीचे) "नवपद ध्यान" हृदय अथवा नाभि में आठ पंखुड़ियाँ वाले कमल दल की कल्पना करें । प्रथम पद कणिका में, शेष पंखुड़ियों पर आठ पदों का जाप करें। अपराजित मन्त्र ध्यान कर्णिका में णमो अरिहन्ताणं तथा शेष चार दलों पर चार पदों की धारणा करें। इस मन्त्र का अभ्यास करने से विशेष स्थिरता बनती है। चैतन्य केन्द्र : महामन्त्र जाप णमो अरिहन्ताणं-मस्तक (तालु स्थान)-शान्ति केन्द्र विशति यक णमो सिद्धाणं -भ्रकुटि -दर्शन केन्द्र णमो आयरियाणं- हृदय -आनन्द केन्द्र पणिपूर र णमो उवज्झायाणं-नाभि -तैजस् केन्द्र णमो लोए सव्व साहूणं-पैरों के अंगृष्ठ-ऊर्जा स्थान समसार चक्र आशा पक्र ग्वाधिटान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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