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________________ खण्ड ४ : धर्म, दर्शन एवं अध्यात्म-चिन्तन यह भी सम्भव न हो तो? महीने में एक बार। यह भी सम्भव न हो तो? सुकरात ने कहा--कफन सिरहाने रख लो फिर चाहे जैसे करो। आहार-संयम, निद्रा-संयम, ब्रह्मचर्य और विधायक भाव ये सब धर्म के प्राण तत्व हैं। इनकी आराधना धर्म की आराधना है और स्वास्थ्य की साधना भी। आज धर्म की आराधना कम होती है, सम्प्रदाय की आराधना अधिक होती है। साम्प्रदायिक आचार-संहिता को धर्म मानने वाले लोग अधिक हैं। धर्म का मूल तत्व भिन्न नहीं हो सकता। उसमें देश-काल का भेद भी नहीं होता। यदि त्याग और तपस्या के प्रयोग जीवन में किये जाएँ तो साम्प्रदायिकता की समस्या भी कम हो सकती है, स्वास्थ्य भी अच्छा रह सकता है। कुछ रोग आगंतुक होते हैं। चोट लगी हड्डी टूट गईं। कुछ संक्रामक होते हैं। कुछ रोग कर्मज होते हैं। ये सभी स्वास्थ्य को कमजोर बना देते हैं। इस बहुसंक्रामी युग में कोई आदमी अकेला रहता नहीं, अप्रभावित हुए बिना भी नहीं रह सकता। इस स्थिति में स्वास्थ्य के मूल तत्व की खोज आवश्यक होती है। वह है प्राण । शरीर की अतिरिक्त चंचलतावाणी की अतिरिक्त चंचलता मन की अतिरिक्त चंचलता श्वास की तेज गति आहार का असंयम भोग का असंयम निषेधात्मक भाव ये सब प्राण को क्षीण करते हैं। आयुर्विज्ञान की भाषा में रोग-निरोधक क्षमता और आत्मरक्षा प्रणाली को अव्यवस्थित बना देते हैं। फलतः बीमारियों के बीज को पनपने का मौका मिल जाता है । धर्म की आराधना का प्रत्यक्ष उद्देश्य है-भावना की विशुद्धि, मन की एकाग्रता और आत्मा की अनुभूति । उसका परोक्ष परिणाम है-प्राण को प्रबल बनाना । प्राण प्रबल होता है, स्वास्थ्य की धारा अपने आप प्रवाहित हो जाती है। पूर्णता या परोपाधेः सा याचितकमण्डनम् । या तु स्वाभाविकी सैव जात्यरत्न विभानिभा । पराई वस्तु (पुद्गलों) से जो पूर्णता मानी जाती है, वह तो उधार माँगकर पहने हुए आभूषण के समान है। जैसे कि रत्न की अपनी अलौकिक कान्ति उसकी अपनी होती है वैसे ही आत्म भावों से प्राप्त पूर्णता आत्मा की वास्तविक पूर्णता है। -ज्ञानसार १/२ (विवेचक--मुनिश्री भद्रगुप्तविजय जी) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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