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खण्ड ३ : इतिहास के उज्ज्वल पृष्ठ
१०५ यहाँ स्फटिक रत्न की तीन विशाल जिन प्रतिमाएँ हैं । कुमारसिंह हाल में गुलाबकुमारी लायब्ररी एवं श्री पूरणचन्द्र जी नाहर का पुरातत्व संग्रहालय है। यहाँ सभाएँ तथा पर्युषण के व्याख्यान भी होते हैं।
मनमोहन पार्श्वनाथ जिनालय-यह भवानीपुर में शिखरबद्ध विशाल जिनालय और पास ही तीन मंजिल में उपाश्रय साधु-साध्वियों के चातुर्मास और धर्मध्यान का उत्तम साधन है।
१० हंसपोखरिया वर्द्धमान भवन में शांतिनाथ देहरासर, ६,विटिल रसल स्ट्रीट में हरखचन्द जी कांकरिया का देहरासर, भवानीपुर के मेहता बिल्डिंग पर तथा १८, हिन्दुस्तान रोड, वालीगंज में छोटूलाल जी सराणा का पार्श्वनाथ चैत्यालय दर्शनीय हैं।
_ बिहार प्रान्त में राँची, टाटानगर, फाबिशगंज, प्रतापगंज में तथा बंगाल में सैंथिया, खड़गपुर, लिलुआ में जिनालय है। हुगली-चिन्सुरा में कलकत्ता बसने से पूर्व जिनालय, दादाबाड़ी व भैरुजी का मन्दिर था । अब दिगम्बर मन्दिर और अधिष्ठाता भैरुजी का मन्दिर पार्टिशन हटाकर धर्मशाला में संलग्न है । दादावाड़ी गायब है, केवल खुली जमीन पड़ी है। बंगाल की पुरानी बस्तियों दस्तुरहाट, जंगीपुर, कासिम बाजार आदि अनेक स्थानों के मन्दिर उठ गये हैं। मुर्शिदाबाद जिले के अजीमगंज, जीयागंज में पर्याप्त बस्ती थी। अब अनेक लोग की कलकत्ता आदि में आ गए हैं । यहाँ प्राचीन उपाश्रय, मन्दिर और समृद्ध जमीदारों, की राजवाड़ियाँ हैं। वहाँ के मन्दिरों का उल्लेख किया जाता है
अजीमगंज-यहाँ १ नेमिनाथ का मन्दिर, खरतरगच्छ उपाश्रय के बगल में है, ज्ञान भंडार भी हैं । २ चिन्तामणि का मन्दिर ३ सुमतिनाथ जिनालय-यह सिताबचन्दजी नाहर का निर्मापित है। ४ गौडी पार्श्वमन्दिर-धनपतसिंह जी दुगड़ का बनवाया हुआ है। ५ पद्मप्रभ जिनालय-खरतरगच्छीय प्रतापचन्द जी निर्मापित है । ६ संभवनाथ जिनालय नगर से दूर धनपतजी दुगड़ निर्मापित है। यहाँ की अधिकांश प्रतिमाएँ पालीताना भेज दी गई हैं । ७ शान्तिनाथ जिनालय-सुमेरचन्दजी वैद्य की धर्मपत्नी गुलाबकुमारी बीबी निर्मापित है।
" रामबाग में दादावाड़ी में जिनदत्त सूरिजी व जिनकुशल सूरिजी के चरण पादुके हैं । यहाँ कासिम बाजार से नेमिनाथ भगवान, जीयागंज व जंगीपुर से आये सहस्र फणा पार्श्वनाथ हैं, सांवालिया पार्श्वनाथ व अष्टापदजी का मन्दिर भी है।
___ जीयागंज-गंगापार में जीयागंज व बालूचर बसा हुआ है। यहाँ जैन समाजकी कई संस्थाएँ हैं। (१) संभवनाथजी का पंचायती मन्दिर-इसमें दादावाड़ी तथा पृष्ठ भाग में खरतरगच्छ का उपाश्रय है । (२) विमलनाथ जिनालय-यह श्रीपतसिंह जी दूगड़ के पूर्वजों का निर्मापित है । संलग्न धर्मशाला, उपाश्रय, आयंबिलशाला व दादा साहब का मन्दिर भी है। (३) आदिनाथ मन्दिर-इसके बगल में तपागच्छ का उपाश्रय है । (४) दादावाड़ी-कीरतबाग में दादाजी का तथा भगवान का मन्दिर भी है।
जीयागंज से ४ मील महिमापुर में जगतसेठ जी का सुप्रसिद्ध कसौटी मन्दिर है । इसमें दादा साहब के चरण दो सौ वर्ष प्राचीन हैं।
काठगोला-यहाँ दूगड़ परिवार के सुप्रसिद्ध विशाल बगीचे में जिनालय, दादाबाड़ी एवं दर्शनीय कोठी बनी हुई है। कूच बिहार में जिनालय व दादावाड़ी है।
उत्तर बंगाल जो पहले पाकिस्तान और बाद में बंगलादेश हो गया, वहाँ रंगपुर, माहीगंज, नबाबगंज में जिनालय व दादावाड़ी है । सिराजगंज में दादाबाड़ी है । दिनाजपुर में नाहर परिवार द्वारा बनाया जिनालय है।
आसाम प्रान्त में १ गवालपाड़ा व २ तेजपुर में पार्श्वनाथ जिनालय हैं। माणकाचर में दादावाड़ी है तथा गौहाटी में घर देहरासर रूप में चरणादि हैं।
-. खण्ड ३/१३
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