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________________ खरतर गच्छ का संक्षिप्त परिचय : महोपाध्याय विनयसागर जी और पालणपुर में स्थित जिनरत्नाचार्य को संदेश भिजवाया कि चातुर्मास के पश्चात् इनका आचार्य पद स्थापना महोत्सव बड़े आडम्बर के साथ करना । पश्चात् आचार्यश्री ने अनशन ग्रहण किया और आश्विन बदी छठ की रात्रि को इनका स्वर्गवास हुआ । आचार्य जिनेश्वर शासन प्रभावक और उद्भट विद्वान् थे। इनके द्वारा निर्मित विशेष साहित्य तो प्राप्त नहीं है, किन्तु श्रावक धर्मविधि प्रकरण एवं बारह स्तोत्र प्राप्त हैं । इनके शासनकाल में अनेकों दिग्गज विद्वान् और साहित्य-निर्माता हुए, उनमें से कतिपय विद्वानों के नाम एवं उनकी प्रमुख कृतियों का उल्लेख इस प्रकार है (१) सर्वराज गणि-गणधर-सार्धशतक एवं पंचलिंगी लघु वृत्ति (२) पूर्णकलश गणि-प्राकृत द्वयाश्रय काव्य टीका (३) चन्द्रतिलकोपाध्याय-अभयकुमार चरित (४) सूरप्रभाचार्य-कालस्वरूप कुलक वृत्ति (५) जिनरत्नसूरि-निर्वाण लीलावती सार (६) लक्ष्मीतिलकोपाध्याय-प्रत्येकबुद्ध चरित्र, श्रावकधर्म-वृहदवृत्ति आदि (७) अभयतिलकोपाध्याय-संस्कृत द्व याश्रय काव्य वृत्ति, न्यायालंकार टिप्पण, पानी वादस्थल ___आदि (८) प्रबोधचन्द्रसूरि-संदेहदोलावलि बृहद्वत्ति (९) धर्मातिलक गणि-लघु अजितशान्तिस्तव वृत्ति (१०) जिनप्रबोधसूरि जम–१२८५, दीक्षा-१२६६, आचार्य पद-१३३१, स्वर्गवास-- १३४१ । द्वितीय जिनेश्वरसूरिजी के पट्ट पर आचार्य जिनप्रबोधसूरि हुए। आपका जन्म थारापद्र नगर में संवत् १२८५ श्रावण सुदी छठ को हुआ था। आपके पिता खीवड़ गोत्रीय श्रीचन्द्र थे और माता सिरिया देवी । संवत् १२६६ फाल्गुन बदी पांचम को पालणपुर में आचार्य जिनेश्वरसूरि के करकमलों से दीक्षा ग्रहण की थी। प्रतिभासम्पन्न देखकर आचार्यश्री ने संवत् १३३० वैशाख बदी छठ को जालौर में आपको वाचनाचार्य पद प्रदान किया था। आप में गच्छनायक की योग्यता देखकर जिनेश्वरसूरि ने ही अपने करकमलों से संक्षेप विधि-विधान के साथ संवत् १३३१ आश्विन बदी पंचमी को अपने पद पर स्थापित किया था। आचार्य जिनेश्वर के निर्देशानुसार पदस्थापना हेतु चातुर्मास समाप्त होने पर जिनरत्नाचार्य जालौर आए । इस प्रसंग पर श्री चन्द्रतिलकोपाध्याय, श्री लक्ष्मीतिलकोपाध्याय प्रमुख साधु-साध्वी वृन्द भी जालौर आया। संघ द्वारा विशाल महोत्सव किया गया और संवत् १३३१ फाल्गुन बदी अष्टमी के दिन विस्तृत विधि विधान के साथ वयोवृद्ध जिनरत्नाचार्य ने जिनप्रबोधसूरि की पद स्थापना की। आपके शासनकाल में जो समय-समय पर अनेकानेक प्रतिष्ठाएँ, दीक्षाएँ, पदस्थापना एवं विशिष्ट कृत्य हुए उनको तालिका इस प्रकार हैं . प्रतिष्ठायें-संवत् १३३२ जेठ बदी एकम को जालौर में, जेठ बदी छठ और नवमी को स्वर्णगिरि पर, संवत् १३३४ वैशाख बदी पांचम को भीमपल्ली में, संवत् १३३५ फाल्गुन वदी पांचम व फाल्गुन सुदी पांचम को चित्तौड़ में, संवत् १३३६ वैशाख बदी छठ को बरडिया में, सं० १३३७ जेठ बदी पांचम को बीजापुर में और सं० १३४० वैशाख सुदी तीज को जैसलमेर में । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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