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________________ Motherhofe अज्जा सज्जासिरी अहिणंदणं Jain Education International - डा. उदयचन्द जैन (उदयपुर) कुल - परिचया णच्चा देवं, उसह पणमामि सव्वतित्थं, अहं तेसि णमो सया, संसार - जलहि तारण-समिद्धो । झाण- णाण-तवो रत्ता, सिरि- महावीर - जिगेसरं ||२|| लोगालोग-पगासग- जुत्तं । कम्म-कलंक विणासअहेउं ||१|| ते वे सब्वे मुणिवरा सयलं वंदणीया णिच्चं । जिणचरणं रत्ता मुत्ति-पह गमणसीला य जे || ३ || जस्स परम-पसादेण, बुद्धि - णिच्चं पवड्ढए सूरो विव । गोतम - गणहाइरिया उवज्झाय- साहु - अज्ज अज्जिया चंदणसम - सुरहीओ चंदणा-गुण-गुणाणं कया सया । वंदे सज्जण-अज्जं भव्व- राजीव- दिवायरो व्व ॥ ५॥ ||४|| सावग-सग्गण्ण- वाह-वय-धारी-संगीतण्ण कवी वि । पिउ - सिरि- गुलाबचंदो, लूणियाकुल- साहग-वरिट्ठो ॥ ६ ॥ सु-सावगा धम्मवई, महताब देवी माउसिरी । सा वि धम्मशीला, तत्तवेत्ता बारह-वय-धारिणी ॥७॥ मायाए वच्छल्लं, पिउ-पीई-भाऊ-सणेह-जुत्त ं । हिरामा सातु, सज्जणसिरी सज्जणाणं पिया वि ॥ ८ ॥ गुणसीला अईधीरा, तत्तजिण्णासु धम्मवई वि । ववहार-णाण जुत्ता, सक्कय- पाइय-भास - पवीणा ॥ ॥ अंगल - भासा - हिंदी, गुज्जर- रायट्ठाणी समाधेज्जा । सज्जण - सिरी - महासई सा ॥१०॥ णाणा भासा भासी, बालत्तणे वि सया, पडिक्कमाइ अहिरुइ-कया । महुर-भासा- भासिणी, धम्म-रहारूढ वाहिणी सया ॥ ११ ॥ ता पाणिग्गणं, जयपुर-सुपसिद्ध गोलेच्छा-परिवारस्स । हमलदीवणस्स तु, कल्लाण-मलेणं सह जाया ||१२|| ( ४६ ) For Private & Personal Use Only /// www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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