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________________ ३६ खण्ड २ : आशीर्वचन : शुभकामनायें - श्री उत्तमचन्द डागा सराहनीय और समीचीन है। पूज्याश्रीजी बहुत ही (संयुक्त मन्त्री) विदुषी और शस्त्रों की महान् ज्ञाता हैं। आपने जयपुर सदा से पुण्य भूमि रही है । तप. शासन की बड़ी सेवा की है। त्याग की ये भूमि रत्नों की खान है। इसी पुण्यभूमि पूज्याश्रीजी पर हमें गर्व है। आपका बहमान, की जनक जैन समाज की गौरव महासती प्रवर्तिनी आप में रही समाज की सच्ची भक्ति का श्री सज्जनश्रीजी म. एक प्रतिभाशाली, गौरवमयी, द्योतक है। साधनामयी, साध्वीरत्न हैं । आपका सम्पूर्ण जीवन "उत्तम ना गुण गावंता, साधना के पथ पर निरन्तर गतिशील रहा है। गुण उपजे निज अंग।" आप जैसी विलक्षण महान उदारमना महासती जी का अभिनन्दन वन्दन वास्तव में आपके संयम आपश्रीजी के गुणग्राम से हमें भी महान् लाभ पथ का ही अभिनन्दन है । वे हमारी गौरवशाली प्राप्त होगा। परम्परा की सच्ची प्रतीक हैं । हम ऐसी महान साध्वी रत्न का अभिनन्दन कर अपने को निश्चय ही गौरवशाली महसूस करते हैं। 0 श्री लहरसिंह बाफना विदुषीवर्या प्रवर्तिनी श्री सज्जनश्रीजी म. सा. श्री राजेश महमवाल, नवलगढ़ के अभिनन्दन समारोह के शुभ अवसर पर मैं श्री त्याग व संयम के पथ पर इतने बड़े समुदाय को जैन श्वेताम्बर संघ खेतडीनगर की ओर से समारोह लेकर चलने वाली गुरुवर्या प्रवर्तिनी सज्जनश्री जी की सफलता की शुभकामना करता हैं । और कामना म. का व्यक्तित्व एक अक्षय प्रेरणा का स्रोत रहा करता हूँ कि साध्वीजी के जीवन से समाज के गौरव है। ज्ञान के इस पवित्र स्रोत के किनारे खडा का श्राद्ध क साथ-साथ पवित्र और विद्यावान जीवन प्रत्येक श्रावक आत्मसंस्कारों के लिये नई दीप्ति जीने की प्रेरणा भी मिलेगी। पाता है। साधुत्व जैन समाज की परम्परा व शक्ति रही है और इसी शक्तिमान आभा की नैतिकता का अपना एक दिव्याकाश है जहाँ अनेक प्रकाश 0 श्री एस. मोहनचन्द ढड्ढा 'शक्तियाँ आपकी शक्ति से जगमगा रही है जो [२६८, लायड्स रोड, रायपेठ, मद्रास भविष्य के लिये संयम की राह में सेतु बन इस परम्परा को अविरल गति व मार्गदर्शन देती भारत की समस्त जैन समाज की साध्वी समूरहेंगी। दाय में प्रवर्तिनी श्री सज्जनश्रीजी महाराज का एक वीर-शासन की सेविका, आध्यात्मिक विभूति अनूठा स्वरूप है। इनकी वाणी व व्यवहार में एवं सात्विक-मनीषा को मेरा कोटिशः कोटिशः अद्भुत प्रभावकता है । आपका ब्यक्तित्व और कृतित्व बेजोड़ है । आपकी वाणी और काव्य वन्दन । कृतियाँ सभी के लिए प्रेरणाप्रद हैं । ऐसी वन्दनीया साध्वीश्री जी के चरणों में शत-शत नमन ! शुभ श्री मानमल कोठारी कामना। पूज्या प्रवर्तिनी श्री सज्जनश्रीजी महाराज साहब के अभिनन्दन समारोह का आयोजन बहुत ही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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