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________________ खण्ड २ : आशीर्वचन : शुभकामनाएँ अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है । इस माध्यम दर्शन और साधना के बारे में प्रेरणास्पद जानकारी से मुझे भी कुछ श्रद्धा सुमन समर्पित करने का प्रदान करेगा। सुनहरा अवसर मिला है । हम अपनी अनन्त आस्था श्री प्रकाश बाँठिया एवं परिवार के सुमन समर्पित कर अपने आपको धन्य-धन्य अनुभव कर रहे हैं। जयपुर श्री सुशीलकुमार जी बाँठिया, जयपुर अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है लूनिया परिवार के द्वारा प. पू. गुरुवर्या श्री का अभिनन्दन ग्रन्थ आगमज्योति, आशुकवयित्री पूज्यवर्या प्रवर्तिनी प्रकाशित हो रहा है । महोदया श्री सज्जनश्री जी म. सा. का अभिनन्दन आपश्री का सम्पर्क मुझे बचपन से ही प्राप्त ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है । जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुआ। जब से मैंने आपश्री के जीवन को देखा, हुई । पू० गुरुवर्याश्री का प्रभावशाली व्यक्तित्व एवं परखा, जाना, सुना और उसमें मुझे अनेक ऐसी गरिमामय उत्कृष्ट जीवन की सौरभ चिहुँ दिशि में विशेषताएँ मिली जो अन्य लोगों में बहुत अल्प महक रही है। आप संयम के प्रत्येक क्षेत्र में मात्रा में दृष्टिगत होती है यथा-अध्ययन और निपुणता लिये हुए प्रत्येक क्षण आत्म-साधना के अध्यापन, सेवा और समर्पणशीलता, सरलता, प्रति अर्पित हैं। सहजता, वात्सल्य और प्रेम । ऐसी महान आत्मा पू. गुरुवर्याश्री के गुणों को लिपिबद्ध करने में दीर्घकाल तक चिरायु बन शासन सेवा में अभिवद्धि मैं अपनी बुद्धि से स्वयं को असमर्थ अनुभव कर रहा करे । और हम सब पर आपकी कृपा दृष्टि हैं। पू. गुरुवर्या श्री के चरणों में कोटि-कोटि वंदन अविच्छिन्न सतत् रूप से प्रवाहमान होती रहे। । अभिनन्दन प्रेषित करता हुआ जिनशासनदेव से व 0 श्री प्रेमचन्दजी धांधिया, जयपुर गुरुदेव से प्रार्थना करता हूँ, पू. गुरुवर्याश्री के सौम्यस्वभावी, स्वाध्यायप्रेमी, आगमज्ञ, पू० स्वास्थ्य के लिए। प्रवतिनी श्री सज्जनश्री जी म. सा. के अभिजिनशासन की ज्योति बनकर सदा चमकती रहें नन्दन ग्रन्थ के प्रकाशित होने का समाचार पढ़कर इसी शुभेच्छा के साथ बांठिया परिवार की ओर से हार्दिक प्रसन्नता हुई। यह ग्रन्थ सुन्दर, आकर्षक व हार्दिक अभिनन्दन ! समाजोपयोगी हो, यही मेरी हार्दिक भावना है ।। 0 श्री हेमराजजी ललवानी । श्री जोगराज भैरूलाल भंसाली (गढ़ सिवाना) मुझे जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि पू. आगममर्मज्ञा आशुकवयित्री पू. गुरुवर्या श्री सज्जनश्री जी प. पू. प्रवर्तिनी श्री सज्जनश्री जी म. सा. के म. सा. के ८२ वें जन्म दिवस पर उनका सार्वजनिक दीक्षा स्वर्ण जयन्ती के सुअवसर पर भंसाली अभिनन्दन करने का निर्णय लिया गया है। यह परिवार का शत्-शत् अभिनन्दन ! अत्यन्त हर्ष का विषय है कि इस अवसर पर हम मुझे आपथी के दर्शनों का प्रथम सौभाग्य उनके सम्मान में एक अभिनन्दन ग्रन्थ उन्हें समर्पित सिवाना नगर में प्राप्त हआ। आपश्री का जीवन करने जा रहे हैं। प्रत्येक दृष्टि से - सेवा पक्ष की दृष्टि से, अध्ययन ___ मैं आशा करता हूँ कि आपश्री को समर्पित पक्ष की दृष्टि से, सरलता सहजता की दृष्टि से, किया जाने वाला अभिनन्दन ग्रन्थ आपके जीवन देख तो सर्व गुणों से समन्वित है । आपकी प्रवचन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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