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________________ १७० खण्ड १ | जीवनज्योति : व्यक्ति दर्शन संगीत कला के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा है-“सचमुच, संगीत में कुछ ऐसा अद्भुत प्रभाव होता है कि मनुष्य तो क्या पशु-पक्षी भी सुध-बुध बिसरा कर तन्मय हो जाते हैं।" मृत्यु की भयानकता तथा उसकी शाश्वतता का उल्लेख अग्रांकित शब्दों में बहुत ही हृदयस्पर्शी बन गया है : "मृत्यु ! ओह ! कितना भीषण शब्द है । शब्द की भीषणता से ही अर्थ की भीषणता का विचार अत्यन्त भयावह है।" ग्रन्थ में मार्मिक स्थलों के विवरणों का भी प्रसंगानुसार समावेश हुआ है । लेखिका ने अपने अनुभव तथा चिन्तन से ऐसे स्थलों की प्रेषणीयता को और भी बढ़ा दिया है । लेखिका ने संस्कृत, प्राकृत तथा अन्य भाषाओं के उद्धरणों द्वारा अपने विवरण को अधिक प्रभावशाली तथा प्रामाणिक बनाने का प्रयास किया है। "पुण्य जीवन ज्योति" जैन-धर्म और दर्शन का सागर है जिसे लेखिका ने इस ग्रन्थ-सागर में उँडेल दिया है। प्रसंगानुसार जैन धर्म के अनेक पवित्र स्थलों तथा पूजा, अर्चना विधियों, पर्यों व उत्सवों का विस्तार से वर्णन किया गया है । अनेक रंगीन-चित्रों के संकलन से ग्रन्थ की उपादेयता और भी बढ़ गई है। संक्षेप में "पूण्य जीवन ज्योति" जैन साधिका साध्वी का एक पावन इतिहास, जैन सिद्धान्तों, आदर्शों, मान्यताओं, पर्वो और त्योहारों का परिचय ग्रन्थ और परम साध्वी पुण्यशालिनी स्व. पुण्यश्री जी महाराज का पावन चरित्र है । -- --00 महावीर जय" [तर्ज-वीणावादिनी वर दे वीर महावीर की जय हो जय हो 555-जय हो 55। सुर नर वन्दित जग अभिनन्दित, विश्व ज्योति जय हो"॥स्थायी।। मातृ कुक्षि में अचल हुये जब मातृ दुःख वश नियम लिया तब, । पितरौ जीवित व्रत न धरूं अब, मातृभक्त ! जय हो ॥१॥ सुरपति मन में संशय आया, सिंहासन अंगुष्ठ दबाया, ___ जन्मोत्सव में मेरु कपाया, अतुलबली ! जय हो""।। २ ॥ शेशव में आमलकी क्रीड़ा, हारा सुर पाया अति वीड़ा, मेटी सब की मानस पीड़ा, अपराजित ! जय हो- ॥३॥ भ्रातृ प्रेम वश वर्ष द्वय तुम, रहे वाम पर संयम मय तुम, उच्चादर्श प्रदर्शित करतुम, धन्य बने ! जय हो-॥४॥ -प्रतिनी सज्जनश्रीजी म० रचित Jain Education International - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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