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________________ खण्ड 1 / व्यक्तित्व-परिमल : संस्मरण जीवन के क्षणिक राग द्वषों से बहुत दूर उनका सरल, सौम्य जीवन है। उनका दर्शन ही सुखद है, तो उन जैसा जीवन सुखद क्यों न होगा ? __एक दिन की बात है मैं वहाँ सौम्यगुणाश्री महाराज तथा शुभदर्शनाश्री महाराज को न्याय का विषय समझा रहा था। जहाँ मैं बैठा था, वहाँ धूप आ रही थी, वह धूप साधारणतया तापदायक थी ही, पर विषय समझाते समय उस ओर ध्यान जाता नहीं था। उसी समय महाराज सा० किसी कारणवश बाहर आयीं, उन्होंने मुझे देखा, तो तुरन्त आकर कहा "मास्टरजी को धूप में क्यों बैठने दिया ? धूप तेज है, छाया में आसन बिछाओ।" जीवन में कई घटनायें छोटी छोटी होती हैं, पर उनसे हृदय का अवबोध होता है / मुझे महाराज सा० के हृदय की विशालता व करुणा का ज्ञान उस छोटी सी घटना से हुआ। उस घटना से हृदय आज भी उनके समक्ष झुकता है। हमारे हृदय का खुद-ब-खुद उनके सामने नम्र होना ही उनके माहात्म्य की महिमा है / "महात्माओं का हृदय विशाल होता है" इस नीतिवाक्य का साक्षात् जीवन्त उदाहरण महाराज मा० स्वयं हैं। ऐसे महात्मा सभी को लाभान्वित करें इस भावना के साथ उनके दीर्घायुषी जीवन की कामना करता है। व्यक्तित्व के विविध उज्ज्वल पक्ष 0 कमारी बेला भण्डारी भारतीय धरा पर ऐसी अनेक महान विभूतियाँ हुई हैं, जिन्होंने अपने ज्ञान, त्याग एवं तपोमय जीवन से देश के नाम को सदैव आलोकित किया है। ऐसी ही चन्द महान विभूतियों की पंक्ति में आगम निष्णात, अज्ञान-तिमिर तरणि, आशु कवयित्री, शान्तिप्रिय, त्यागी-तपस्वी, तत्व-दृष्टा, महाप्रतिभा सम्पन्न सज्जनश्रीजी महाराज साहब का नाम निःसन्देह अंकित किया जायेगा। इन्होंने अपने त्याग, तप, ज्ञान एवं चारित्र बल से जैन-जैनेतर समाज का अवर्णनीय उपकार किया है। इन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन बौद्धिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के प्रयत्न को अर्पित कर दिया। बौद्धिक पक्ष ___ इनमें बौद्धिक सूझबूझ के साथ मस्तिष्क का सार्थकतापूर्ण उपयोग करने की अनुपम विशेषता है। यही असाधारण विशेषता इन्हें अन्य-अन्य विभूतियों से भिन्न श्रेणी में रखती है। इनमें किसी भी विषय की दार्शनिक व्याख्या करने के तौर तरीके अन्य पद्धतियों से भिन्न हैं। आध्यात्मिक पक्ष इनके व्यक्तित्व की आध्यात्मिक गहनता का सही ढंग से अन्दाज लगाना अत्यन्त कठिन है / यह विविवाद सत्य है कि इन्होंने आध्यात्मिक क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान बनाया है। इनकी आध्यात्मिक शक्ति अन्य चमत्कारिक शक्तियों से भिन्न है। ये सदैव चमत्कारों से दूर रही हैं। वास्तव में लोग आध्यात्मिक चमत्कार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं / वे गुरुतर आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होने में असमर्थ हैं। किन्तु उनका आध्यात्मिक जीवन बहुजन हिताय एवं बहुजन सुखाय है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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