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________________ खण्ड १ | जीवन ज्योति २० मई को सप्तम शताब्दी समारोह भी सम्पन्न हो गया। (सम्बन्धित विस्तृत जानकारी शताब्दी स्मारिका में आलेखित है)।। सिवाणा संघ की समुचित व्यवस्था सराहनीय तथा प्रशंसनीय रही। शासन की बहुत प्रभावना कु. नीता लालवानी और निशा छाजेड़ के दीक्षोपारांत नाम क्रमशः शीलगुणाजी और सौम्यगुणाजी दिये गये तथा ये दोनों पू० गुरुवर्या की शिष्याएँ घोषित हुई। महोत्सव के अवसर पर शेरगढ़ से भी एक बस आई थी। इनके अत्यधिक आग्रह पर चातुर्मास की स्वीकृति देकर प्रियदर्शनाजी आदि ठाणा ४ को शेरगढ़ की ओर चातुर्मासार्थ प्रस्थान करवाया गया और पू० प्रवर्तिनी सज्जनश्रीजी म. सा. नूतन दीक्षिताओं सहित ६ ठाणा मिठोड़ावास की विनती को स्वीकार करके भंसाली भवन में चातुर्मासार्थ विराजी । मिठोड़ावास-सिवाणा चातुर्मास : सं. २०४० इस चातुर्मास में तप-त्याग-प्रत्याख्यान खूब हुए । चातुर्मास सफल रहा। जयपुर संघ का जयपुर चातुर्मास के लिए आग्रह शताब्दी समारोह से पहले से ही चल रहा था लेकिन चातुर्मास के बाद तो वे लोग आकर जम ही गये । इच्छा न होते हुए भी स्वीकृति देनी ही पड़ी। बागरेचा परिवार द्वारा मेन रोड नवनिर्मित भव्य, विशाल चौमुख मन्दिर की प्रतिष्ठा करवा कर वहाँ से विहार करके नाकोड़ा के दर्शन करते हुए जोधपुर पहुंचे। जोधपुरवालों ने भी चातुर्मास का आग्रह किया । सत्य स्थिति बतानी पड़ी । उन्होंने जयपुर वालों को पत्र डाला तो वे लोग आ गये । उन्होंने जोधपुर चातुर्मास के लिए हाँ भरवानी चाही पर उनके सभी प्रयास विफल हुए । आखिर जोधपुर से हम लोगों को जयपुर की ओर विहार करवा के ही गये ।। हम लोग कापरड़ा, विलाड़ा की यात्रा करते हुए ब्यावर पहुँचने ही वाले थे कि पू. शशिप्रभाजी को पागल कुत्ते ने काट लिया । ब्यावर पहुँचकर श्रावकों की सहमति से पेट में १४ इन्जैक्शन लगवाने पड़े । शाश्वत ओली की आराधना ब्यावर में ही की। वैशाख में विहार करते हुए अजमेर गुरुदेव के दर्शन करके शहर में पहुँचे । पूज्याश्री का रक्तचाप बढ़ जाने से यहाँ २-३ दिन रुकना पड़ा। वहाँ से विहार कर वैशाख शुक्ला १० के दिन जयपुर की सीमा में प्रवेश किया। जयपुर संघ के लोगों को खूब उत्साह था अतः अपनी गुरुवर्याश्री की आगवानी के लिए सांगानेरी गेट पर इकट्ठे हो गये । जयपुर के प्रसिद्ध जियाबैण्ड और वीर बालिका स्कूल के बालिका बैण्ड के साथ शान से जयपुर में प्रवेश किया। प्रसिद्ध गायक लक्ष्मीचन्द जी भंसाली के गायन की मधुर स्वर लहरी की सबने प्रशंसा की । सैकड़ों व्यक्तियों के जुलूस के साथ पंचायती मन्दिर के दर्शन करते हुए विचक्षण भवन पहुँचे। वहाँ नववधुओं ने विभिन्न प्रकार की गलियों से आपका स्वागत किया। जयपुर के कई प्रसिद्ध श्रावकों-हीराचन्दजी सा. बैद, महताबचन्दजी सा. गोलेच्छा, उत्तमचन्दजी सा. बडेर आदि ने आपके तेजस्वी व्यक्तित्व के गुणग्राम किये पश्चात् आपश्री ने ओजस्वी प्रवचन दिया, अन्त में मांगलिक फरमाई। जयपुर चातुर्मास : सं. २०४१ चातुर्मास में गुरुवर्याश्री ने 'आचारांग सूत्र' की व्याख्या फरमाई । चार महीने तक प्रवचन खण्ड १/११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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