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________________ कालजयी व्यक्तित्त्व परम श्रद्धेय श्रमणसंघीय सलाहकार मंत्री मुनि श्री सुमनकुमारजी महाराज विलक्षण व्यक्तित्व के धारक है। मात्र पन्द्रह वर्ष की अवस्था में ही आर्हती दीक्षा अंगीकार कर साधना के दुष्कर एवं कंटकाकीर्ण पथ पर बढ़ चले। जीवन में अनेक झंझावात आये किंतु इस तपोधनी के आत्मबल से टकराकर चकनाचूर हो गये। दम्भ और आत्मश्लाघा के दानवों ने आप श्री को घेरना चाहा किंतु सत्यप्रिय एवं स्पष्टवादी फक्कड़ बनकर मुकाबला करते रहे। समाज में प्रचलित कुरीतियों, अन्धविश्वासों एवं बुराइयों पर करारा प्रहार करते रहे। कथनी और करणी की एकरूपता का दिग्दर्शन आपकी वाणी और व्यवहार में पाया जाता है। 'सर्वजन हिताय, सर्व जन सुखाय' आपके धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों की एक लम्बी श्रृंखला है। आपको जैन एवं जैनेतर दर्शनों का सूक्ष्म एवं तलस्पर्शी ज्ञान है। आपके प्रवचन तुलनात्मक, विवेचनात्मक एवं व्याख्यात्मक होते हैं। आप द्वारा शासन के लिए की जा रही प्रभावना कालजयी है। देश-काल की सीमाओं से परे आपके चिन्तन ने हजारों-हजार व्यक्तियों को नूतन जीवन-दिशा प्रदान की है। आप बहु भाषाविद् है एवं श्रेष्ठ साहित्य सर्जक भी। यही कारण है कि आपके सर्वतोमुखी व्यक्तित्व से अनुप्राणित होकर संघ एवं समाज ने इतिहासकेसरी, प्रवचन दिवाकर, उपप्रवर्त्तक, सलाहकार, मंत्री, शांतिरक्षक आदि विविध पदों पर प्रतिष्ठित करके आपकी धर्म एवं समाज सेवा को वन्दित-अभिनन्दित किया है। सरलता, निर्भीकता, स्पष्टवादिता तथा सिद्धान्तों के प्रति दृढ़ता इस महामनीषि एवं प्रज्ञामहर्षि में सदैव अनुगूंजित है। बाह्य व्यक्तित्व जितना सम्मोहक है उससे भी ज्यादा आन्तरिक व्यक्तित्व प्रभावक है। विद्वद्वरेण्य, सृजनधर्मी, तर्कणाशक्ति के धारक परम श्रद्धेय मुनिवर की श्रमण-साधना से ज्योतित पचास वर्ष / दीक्षा-स्वर्ण-जयन्ति की पुनीत सुवेला पर यह ग्रन्थ सश्रद्ध उनके करकमलों में भक्तजनों द्वारा अर्पित है। हे यशस्वी ! जिन शासन प्रभावक ! आपश्री के पावन चरणों में हार्दिक भावाञ्जलि ! विनयाञ्जलि !!.... प्रणमाञ्जलि ! वन्दनाञ्जलि !! सुमनाञ्जलि..! अभिवन्दनाञ्जलि !! - डॉ. भद्रेशकुमार जैन Forvale & Poolse on
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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