________________
साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
श्री आर. सम्पतराजजी गुन्देचा श्री आर. सम्पतराजजी गुंदेचा चेन्नई के श्रेष्ठ समाज सेवी व उदारमना श्रावक है। आप की आयु ६५ वर्ष है। आप स्व. श्री रावतमल जी गुन्देचा के सुपुत्र हैं। आप राजस्थान के जोधपुर जिले के हरियाडाणा (बिलाड़ा) ग्राम के निवासी हैं। आपका चेन्नई में वस्त्र निर्यात, फाइनेंस व दवा वितरण का समृद्ध व्यापार है। आप श्री एस.एस.जैन संघ नंगनलूर के भूतपूर्व अध्यक्ष हैं तथा अन्य कई धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं के सक्रिय सदस्य हैं। आपकी धर्मपत्नी पतासकंवर एक धर्मपरायण सुश्राविका हैं।
आपके चार सुपुत्र तथा एक सुपुत्री है। आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री मदनलाल गुन्देचा चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं तथा साउथ इंडिया हायर पर्चेज एसोसिएशन के भूतपूर्व चेयरमैन रह चुके हैं। वर्तमान में वे मद्रास हायर पर्चेज एसोसियेशन के उपाध्यक्ष व एस.एस.जैन एजुकेशनल सोसाइटी की कमेटी के सदस्य हैं। आपके अन्य पुत्र श्री पारस मल, श्री सुरेश कुमार व श्री संजयकुमार तीनों स्नातक हैं तथा व्यवसाय में सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
धर्म क्रियाओं में आपका विशेष अनुराग है। आप गुरुदेव श्री सुमन मुनिजी के प्रति विशेष भक्ति एवं श्रद्धा रखते हैं।
श्री प्यारेलाल जी गुन्देचा श्री प्यारेलाल जी गुन्देचा चेन्नई में टी.नगर के धर्म परायण श्रावक हैं। आप राजस्थान में जोधपुर जिले के अन्तर्गत हरियाढ़ाणा (विलाड़ा) ग्राम के निवासी हैं तथा स्व. श्रीमान रावतमल जी गुन्देचा के सुपुत्र हैं। आप की उम्र साठ वर्ष की है। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती मानकुंवर एक धर्मशीला सुगृहिणी हैं। आपके चार पुत्र हैं जिनके नाम हैं - श्री गौतम चन्द बी.एस.सी., बी.एल., श्री महावीर चन्द वी.काम., चार्टर्ड एकाउंटेंट, श्री दिलीपकुमार बी.काम. एवं श्री महेन्द्र कुमार वी.काम.। आपकी एक सुपुत्री है जिसका नाम श्रीमती सुमनलता मेहता है।
आपका वस्त्र निर्यात, फाइनेंस व दवाओं के थोक वितरण .का समृद्ध व्यवसाय है। आपकी धर्मक्रियाओं में विशेष अभिरुचि है तथा आप सभी सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रमों में सदैव भाग लेते हैं। आप एक मृदुभाषी सरल हृदय श्रावक हैं, आप पूज्य गुरुदेव श्री सुमनमुनिजी के प्रति विशेष श्रद्धा एवं भक्ति रखते हैं।
सम्पर्क सूत्र१६, ग्रिफीत रोड, टी.नगर
चेन्नई ६०० ०१७
सम्पर्क सूत्र१६, ग्रिफीत रोड, टी.नगर,
चेन्नई - ६०००१७
१०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org