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________________ परिचय श्री एन. इंदरचन्द जी गादिया श्री शोभाचन्द जी कोठारी श्री शोभाचन्द जी कोठारी राजस्थान में बगड़ी के निवासी हैं। आप सन् १९४७ में व्यवसाय हेतु ऊटी पधारे। यहाँ आपने कपड़े का व्यवसाय शुरू किया और आज "हिन्द स्टोर्स" और "शोभा सायर" नाम से जाने जाते हैं। आपने अपने निकटतम परिज । को अपने व्यवसाय में भागीदार बनाकर उनका उत्थान लिया। आप तीस वर्षों तक ऊटी श्रीसंघ के अध्यक्ष पद को शोभित करते रहे। आप ऊटी पधारने वाले साधु-सन्तों की सेवा में अग्रगण्य रहते हैं। आपके तीन सुपुत्र श्री इन्दरचन्द जी, श्री उत्तमचन्द जी, एवं श्री गौतम चन्द जी और दो पुत्रियां श्री उगम बाई एवं श्री सुशीला वाई हैं। आपने अपना व्यवसाय सन् १९६८ में कोयम्बत्तूर में स्थापित किया जो आज “कोठारी साड़ी सदन" एवं “शोभा सिंडीकेट" के नाम से प्रसिद्ध है। आप हमेशा सामाजिक कार्यक्रमों में अग्रणी रहते हैं। श्री एन. इंदरचन्द जी गादिया कोयम्बत्तर के श्रेष्ठ समाजसेवी व उदारहृदय श्रावक हैं। आप राजस्थान में पाली जिला के अन्तर्गत चंडावल नगर के निवासी हैं। आपका कोयम्बत्तूर में कपड़े का थोक व्यापार है तथा आपने मफतलाल, मोरारजी, विकटोरिया तथा स्टानरोस आदि मिलों के वस्त्रों की एजेंसियां ली हैं। आपका उदय टैक्सटाइल्स के नाम से वस्त्रों का सुप्रसिद्ध व्यवसाय है। आप अनेक धार्मिक व सामाजिक कार्यों में निरंतर भाग लेते हैं तथा कई सामाजिक संस्थाओं से सम्बन्धित हैं। पूज्य गुरुदेव श्री सुमन मुनि जी के प्रति आपके हृदय में असीम भक्ति है। आप एक सरलमना, उदारहृदय, सुश्रावक हैं तथा धार्मिक क्रियाओं में विशेष अभिरुचि रखते हैं। कोयम्बत्तूर में श्री नेहरू विद्यालय एवं श्री नेहरू महाविद्यालय के आप ट्रस्टी हैं, बैंगलोर स्थित भगवान महावीर जैन कॉलेज के भी आप ट्रस्टी हैं एवं अन्य अनेक संस्थाओं के पदाधिकारी के रूप में सेवा करते हैं। सम्पर्क सूत्रउदय टैक्सटाइल्स ३४३, ओपनकारा स्ट्रीट कोयम्बत्तूर (तमिलनाडु) कोयम्बत्तूर में पूज्य श्री सुमनमुनि जी म.सा. के चातुर्मास काल में आपने गुरुदेव की सेवा की है। आपका परिवार धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में सदैव अग्रणी रहता है। आपके पुत्र श्री इन्दरचन्द जी कोठारी स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेन्स दिल्ली कार्यकारिणी समिति के सदस्य हैं। श्री शोभाचन्द जी सरल स्वभावी एवं उच्च विचारों के धनी आप सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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