SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 674
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि श्री भीकमचन्द जी गादिया श्री भीकमचन्दजी गादिया चेन्नई महानगर के सामाजिक कार्यकर्ता | कुशल व्यवसायी हैं। राजस्थान के पाली जिलान्तर्गत चंडावलनगर के निवासी हैं तथा श्रीमान् सेठ बख्तावमल जी गादिया के सुपुत्र हैं। आपका जन्म के.जी.एफ. कर्नाटक में हुआ। आप पिछले चालीस वर्षों से चेन्नई में व्यवसायरत हैं। आपके तीन पुत्र व चार पुत्रियां हैं। आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री सुरेशकुमार जी गिरवी व ज्वैलरी का व्यवसाय करते हैं। द्वितीय पुत्र श्री दिलीप कुमार चार्टर्ड एकाउंटेंट एवं आडिटर हैं तथा फाइनेंस का व्यवसाय करते हैं। तृतीय पुत्र श्री महेन्द्र कुमार आटोमोबाइल फाइनेंस का कार्य करते हैं। चेन्नई के सामाजिक क्षेत्र में आपने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। आप श्री एस.एस. जैन संघ माम्बलम के १९८६ से १६६८ तक निरंतर मंत्री पद पर रहे हैं। १६६३ में आपने माम्बलम स्थानक भवन के निर्माण में तन-मन-धन से सहयोग प्रदान किया तथा भवन के निर्माण के कार्य को कुशलतापूर्वक सम्पादित करने में श्री संघ के स्वप्न को साकार किया। आपके मन्त्रीत्व काल में जैन श्रमण संघ के श्रेष्ठ संतों के अनेक चातुर्मास सफलतापूर्वक सम्पन्न हुए जिनमें मुख्य हैं- पूज्य तपस्वीरल, सलाहकार श्री सुमतिप्रकाश जी महाराज, उपाध्याय प्रवर श्री विशाल मुनि जी म. एवं मंत्री प्रवर श्री सुमन मुनिजी म. आदि। श्री एस.एस. जैन संघ माम्बलम् के भव्य स्थानक भवन का उद्घाटन भी १६६३ में पूर्ण हुआ। आपकी विशेष प्रेरणा से पूज्य गुरुदेव श्री सुमन मुनि जी म. के सान्निध्य में इसी श्री संघ के अंतर्गत 'भगवान महावीर स्वाध्याय पीठ' की भी स्थापना हुई। आपने अनेक संस्थाओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जिनमें जैन विद्याश्रम मुख्य है। आप एस.एस.जैन संघ माम्बलम् ट्रस्ट के ट्रस्टी, श्री एस.एस. जैन संघ माम्बलम् के १६६६ के चातुर्मास समिति के अध्यक्ष व श्री सुमन मुनि दीक्षा स्वर्ण जयंती समारोह समिति के मंत्री हैं। साथ ही आप राजस्थानी जैन समाज पांडी बाजार, श्री एस.एस. जैन एजुकेशनल सोसायटी चेनई आदि अनेक संस्थाओं के सदस्य हैं तथा उनकी गतिविधियों में सक्रियता से जुड़े हुए हैं। आप पूज्य गुरुदेव श्री सुमन मुनि जी महाराज के प्रति पूर्णतः समर्पित हैं। श्री हनुमानचन्द जी नाहर श्री हनुमान चन्द जी नाहर राजस्थान के जोधपुर जिले के अन्तर्गत हरियाडाणा ग्राम के निवासी हैं। आपके दादा श्रीमान बख्तावरमल जी नाहर के तीन पुत्र थे- श्रीमान् अभयराज जी नाहर, श्रीमान घेवर चन्द जी नाहर एवं श्रीमान् मिश्रीमल जी नाहर। श्रीमान् मिश्रीमल जी नाहर के दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं। आप उनके छोटे पुत्र हैं। आप की धर्मपत्नी श्रीमती पद्माकुंवर नाहर एक सुगृहिणी एवं धर्मपरायणा महिला हैं। आपके एक पुत्र हैं। जिनका नाम प्रसन्नचन्द्र नाहर है जो एम.कॉम. व चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। आपका मेट्टपालयम में समृद्ध व्यापार है। श्रीमान हनुमानचन्द जी सहृदय एवं उदारमना व्यक्ति हैं। सामाजिक व धार्मिक कार्यों में आपका पूर्ण सहयोग मिलता है। पूज्य गुरुदेव श्री सुमनमुनि जी म. के १६६७ के मेट्टपालयम चातुर्मास में आपने अपनी भक्ति भावना का पूर्ण परिचय दिया एवं पूज्य गुरुदेव द्वारा अनुवादित ग्रन्थ 'देवाधिदेव रचना' का भी प्रकाशन कराया। आप एक धर्मशील सद्गृहस्थ हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में आपका योगदान प्रशंसनीय है। संपर्क सूत्र : श्री हनुमानचन्दजी नाहर, ओटोमोबाइल फाइनेन्सियर ३, कोर्ट स्ट्रीट, मेटुपालयम, जि. कोयम्बटूर, चेन्नई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy