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सर्वतोमुखी व्यक्तित्व
इस अवसर पर पूज्य श्री सुरेश मुनि जी म. व साध्वी तपस्वी श्री गणेशीलाल जी म. की पुण्यतिथि भी सोत्साह डा. श्री धर्मशीला जी म. भी उपस्थित हुए।
मनाई गई जिसका आयोजन हेमराज साहूकार प्रार्थना श्री भंवरलाल जी गोटी अध्यक्ष, श्री रीखब चन्दजी भवन में हुआ। लोढ़ा, ‘मंत्री', श्री किसन लाल जी बेताला 'उपाध्यक्ष', असातावेदनीय कर्म के उदय से यहां पर आपके पैर श्री जबरचन्दजी बोकड़िया 'उपाध्यक्ष' श्री माणक चन्द । में भयंकर पीड़ा हुई। एक मास तक चिकित्सा चली। जी सुराणा 'कोषाध्यक्ष' इन पदाधिकारियों एवं श्री संघ स्वास्थ्य लाभ अर्जित कर आप चिन्ताद्रिपेठ पधारे । के समस्त सदस्यों ने साहुकार पेठ वर्षावास एवं उसके
स्थानक के लिए प्रेरणा बाद माम्बलम वर्षावास तक श्रद्धेय चरितनायक गुरुदेव की तन-मन-धन से जो सेवा-साधना की उसे भुलाया नहीं चिन्ताद्रिपेट से श्रद्धेय चरितनायक श्री सुमन मुनि जी जा सकता है।
महाराज कुण्डीतोप पधारे। यहां पर श्री मदनलाल जी साथ ही डॉ. श्री बेतालाजी, श्री भंवरलाल जी बेताला,
झाबर के खाली मकान पर रुके। लगभग १७-१८ दिन श्री माणकचंदजी सुराणा ने श्रद्धेय चरितनायक की रुग्णावस्था
तक यहां प्रवास रहा। प्रार्थना-प्रवचन प्रतिदिन होने लगे।
स्थानीय समाज की श्रद्धा-भक्ति देखकर आपने स्थानक में जो सर्वतोभावेन समर्पण से सेवा की उसे कदापि विस्मृत नहीं किया जा सकता है। ....स्वयं श्रद्धेय चरितनायक
निर्माण की प्रेरणा दी। समाज में उत्साह का संचार हुआ।
महावीर जयंति के पावन प्रसंग पर स्थानक भवन के ऐसा मानते हैं।
निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया।....अक्षय तृतीया यहाँ आप श्री पुनः अस्वस्थ हो गए। साथ ही
पर्व पर स्थानक का शिलान्यास हुआ और वर्तमान में वहां आपके सुशिष्य कर्मठ संत, सेवाभावी श्री सुमन्तभद्र मुनिजी
स्थानक भवन बनकर तैयार हो चुका है। म. भी अस्वस्थ हो गए। कठिन स्थितियाँ निर्मित हुई। इसीलिए वर्षावास की समाप्ति के पश्चात भी आपको १५ महावीर जयंति दिन सहूकार पेठ में ही विराजित रहना पड़ा।
कुण्डीतोप से श्रद्धेय चरितनायक श्री सुमन मुनि जी स्वास्थ्य कुछ अनुकूल हुआ आप वीरप्पन स्ट्रीट म. धोबी पेठ पधारे। यहां पर साध्वी श्री कौशल्या जी म. महावीर भवन में पधारे। वहां १५ दिन विराजने के तथा डॉ. साध्वी श्री धर्मशाला जी म. आदि विराजित पश्चात् नेहरू बाजार, एम.सी.रोड़ होते हुए पुनः साहूकार थीं। यहीं पर आपके सत्सान्निध्य में महावीर जयंति जपपेठ पधारे। वहां से चिन्ताद्रिपेठ को स्पर्शते हुए रायपेठा तप एवं त्यागपूर्वक मनाई गई। यहां से तण्डियारपेठ तथा पधारे।
रायपुरम् आदि क्षेत्रों में विचरण हुआ। १ जनवरी ६६ को मरुधर केसरी श्री मिश्रीलाल जी रायपुरम् से आप श्री साहुकारपेठ पधारे। यहां पर म. की पुण्यतिथि तथा आचार्य प्रवर श्री हस्तीमल जी म. महासती श्री कौसल्या जी म. की दो साध्वियों के वर्षी तप की जन्म जयंति भव्य आयोजन तथा सामायिक संवर त्याग- के पारणे थे। उक्त अवसर पर अन्य २८-३० वर्षीतप तपाराधना के साथ मनाई। वहीं पर कर्नाटक गजकेसरी के तपस्वियों का पारणा हुआ। उसी दौरान पूज्य प्रवर के
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