________________
सर्वतोमुखी व्यक्तित्व
भंवरलालजी गोठी ने। उद्घाटन भाषण दिया - श्री पर लालित्यपूर्ण भाषा में अभिभाषण प्रस्तुत किया श्रीमती सुरेन्द्र भाई मेहता ने। परम-श्रद्धेय गुरुदेव श्री का प्रवचन विजया कोटेचा ने । अहिंसा एवं शाकाहार विषय पर सुश्री अत्यन्त मर्मस्पर्शी था, आप श्री ने “बहिरात्मा-अन्तरात्मा- प्रमिला जैन ने तथा व्यावहारिक जीवन में समता विषय पर परमात्मा" विषय पर विश्लेषण किया। डॉ. श्री इन्दरराज श्री सुमति कुमार जी कांकरिया ने तथा कर्म सिद्धान्त की जी मेहता ने “तिरुक्कुरलः आदर्श जीवन की आचार संहिता” वैज्ञानिकता पर अभिभाषण दिया-श्री दिलीपकुमार जी विषय पर शोधपूर्ण सामग्री प्रस्तुत की।
वया ने। इन सभी वक्ताओं का प्रयास अभिनंदनीय इसी दिवस का द्वितीय सत्रः स्वाध्यायी अभिभाषण
रहा। कार्यक्रम सुश्री सुमित्रा ओस्तवाल के मंगलाचरण से प्रारंभ तृतीय चरण में श्रीमती प्रिया जैन ने “भव प्रपंच" हुआ । श्रीमती कमला मेहता ने नारी और समाज विषयक विषय पर शोधपरक विवेचन प्रस्तुत किया। “जैन धर्म में तथा श्रीमती शकुंतला संकलेचा ने सुखी बनने का राजमार्ग नारी का उद्बोधक रूप" विषय पर श्री भद्रेशकुमार जी विषय पर भावपूर्ण विचार प्रस्तुत किये। सुश्री प्रीति जैन ने सारगर्भित भाषण दिया। नाहर ने लेश्या स्वरूप पर तात्त्विक भाषण दिया।
तदनंतर परम श्रद्धेय गुरुदेव श्री ने सभी वक्ताओं ततीय सत्र प्रारंभ हुआ श्रीमती सनीता सराणा के के विषय पर विश्लेषणात्मक विचार प्रस्तुत किये। अंत में मंगल गान से। इस चरण में श्री कृष्णचन्दजी चौरड़िया ने मंत्री श्री रिखबचंद जी लोढ़ा ने सभी वक्ताओं एवं कार्यक्रम तमिलनाडु के जैन साहित्य विषय पर तथा श्री दुलीचन्द के संयोजक श्री दुलीचन्दजी जैन को धन्यवाद ज्ञापित जी जैन ने “जैन शिक्षा का आदर्श" विषय पर गहन किया। सामग्री प्रस्तुत की।
____ मंगलवचन के साथ गोष्ठी सायं ५.३० बजे समाप्त पंडित रल श्री सुमनमुनि जी म. ने सभी वक्ताओं के हुई। विषय को विवेचित किया। मंगल वचनों के साथ सायं ५ श्री एस.एस. जैन संघ की ओर से सभी वक्ताओं बजे सभा विसर्जित हुई।
का माल्यार्पण एवं स्मृति-चिह्न के द्वारा - स्वागत - अभिनंदन दिनांक दो अगस्त के प्रथम चरण के अन्तर्गत "श्रावक
किया। जीवन का आदर्श विषयक परम श्रद्धेय गुरुदेव श्री का .७ अगस्त ६८ को श्रमणसूर्य मरूधर केसरी श्री विश्लेषणात्मक प्रवचन हुआ। तदनंतर श्री पी.एम. चौरड़िया मिश्रीमल जी म. की जन्म जयंति तपाराधना के साथ ने भावना भव नाशिनी : बारह भावनाएं - विषय पर समायोजित हुई। इस प्रसंग पर अन्नदान, वस्त्रवितरण सारगर्भित भाषण दिया।
तथा जीवदया के कार्यक्रम सम्पन्न हुए। द्वितीय चरण का शुभारंभ किया - श्रीमती किरण पyषण में कई मास खमण सहित प्रभूत तपाराधनाएं जैन ने सुमधुर संगीत प्रस्तुत करके। युवा स्वाध्यायी हुईं। महापर्व सम्वत्सरी के प्रसंग पर कबूतरों के अनाज कार्यक्रम के अंतर्गत जीवन व्यवहार और आत्मदर्शन विषय के लिए अपूर्व राशि एकत्रित हुई।
१०६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org