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________________ साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि की। ३५ ठाणों से सभी संत-सती जी साहूकार पेठ पधारे पावन सन्निधि में सम्पन्न हुआ। मद्रास उच्च न्यायालय के एवं पुण्य तिथि मनाई। साहूकार पेठ संघ के उपर्युक्त न्यायधीश श्री पी.एस. मिश्रा ने ग्रन्थ का विमोचन किया। कार्यक्रम में पुनः नेहरू बाजार वालों ने अपनी आगामी प्रतिष्ठान के चेयरमैन श्री एस. श्रीपाल I.PS., D.G.P ने चातुर्मास की विनति दोहराई एवं आनन्द जयंति मनाने की कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डा. श्री इन्द्रराज बैद (सहायक स्वीकृति हेतु गुरुदेव श्री से पुरजोर आग्रह किया। निदेशक आकाशवाणी) ने ग्रन्थ पर प्रकाश डाला। २२ दिसम्बर १६६३ को उपर्युक्त संत - सति जी तदन्तर आलन्दूर स्थानक का शिलान्यास भी आप म. की पावन सन्निधि में राष्ट्रसंत आचार्य श्री आनन्द ऋषि श्री जी की सन्निधि में हुआ। ओटेरी स्थानक का भूमिजी म. सा. का ८१ वां दीक्षा दिवस धर्माराधना के साथ पूजन भी सानन्द आप श्री की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। मनाया। दया, एकासना, आयम्बिल आदि के अनेक तत्पश्चात् किलपाक, टी. नगर, अन्नानगर पधारे। प्रत्याख्यान हुए। सामूहिक सामायिक व्रत की आराधना ____ आप श्री का इस वर्ष का होली वर्षावास रायपेठा में भी की गई। हुआ। पहाड़ी में महावीर जयंति का आयोजन हुआ। दिनांक २६ दिसम्बर १६६३ को श्री एस.एस. जैन अक्षय तृतीया पूनमली में समायोजित हुई। तदन्तर ताम्बरम, युवक संघ साहूकार पेठ द्वारा प्रकाशित एवं श्री पी.एम. गुडवांचेरी, मदरांतकम्, अचरापाकम्, टिंडीवनम्, विल्लीपुरम्, चोरड़िया द्वारा रचित प्रश्न मंच भाग ११ का आप श्री के उलून्दूर पेठ, कलाकुरची, सेलम, इरोड त्रिपुर आदि बड़ेसान्निध्य में विमोचन समारोह सानन्द सम्पन्न हुआ। बड़े एवं मध्यवर्ती क्षेत्रों में विचरण करते हुए चातुर्मास तदन्तर आप श्री सी.यू. शाह भवन पधारे। नियमित हेतु कोयम्बटूर की ओर प्रस्थान किया। प्रार्थना प्रवचन के कार्यक्रम होने लगे। वर्षावास हेतु प्रवेश दिनांक १५.२.६४ को परम श्रद्धेय श्रमण संघीय कोयम्बटूर वर्षावास हेतु प्रवेश से पूर्व कोयम्बटूर से सलाहकार मुनि श्री सुमन कुमार जी म. की ५६वीं जन्म __ लगभग ८ कि.मी. की दूरी पर आप श्री के पैर में कील जयंति एवं महासती श्री अजितकंवर जी म. की ५० वीं चुभ गई। असह्य पीड़ा हुई। एक दिन के लिए श्री दीक्षा जयंति मनाई गई। इस प्रसंग पर महासती श्री भंवरलाल जी कोठारी के मकान पर ठहरे। तदन्तर विशाल कंचनकंवर जी म. भी ठाणे ३ से पधारी। समारोह जनमेदिनी के साथ चातुर्मासार्थ प्रवेश हुआ। आयोजक था-श्री जैन संघ अन्नानगर। समारोह की उत्तराध्ययन सूत्र पर प्रवचन होने लगे। आप श्री अध्यक्षता श्री दुलीचन्द जी जैन संयोजक “जैन विद्या का व्याख्यान सुनकर लोग आनन्दित हो जाते थे। प्रातः अनुसंधान परिषद्” ने की। मुख्य अतिथि थे-श्री एस.पी. तत्त्वार्थ सूत्र का पारायण होता था। मध्याह्न में तत्त्वचर्चा माथुर I.P.S.! का आयोजन होता था तथा रात्रि में भी। ___ दिनांक १६ मार्च १६६४ को जैन विधा अनुसंधान उचित निर्देश प्रतिष्ठान की ओर से प्रकाशित भगवान महावीर के जीवन पर्व पर्युषण आया। यहां ध्वनिवर्धक यंत्र को लेकर एवं उपदेशों पर आधारित ग्रन्थ “जिनवाणी के मोती” विवाद गहराया। कतिपय सज्जन पक्ष में थे तो कतिपय (लेखक श्री दुलीचन्द जी जैन) का विमोचन आप श्री की विपक्ष में। आप श्री ने उचित समाधान खोजा और संघ ६० Jain Education International Jain Education International For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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