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________________ सर्वतोमुखी व्यक्तित्व सौभाग्यशाली माता पिता थे। पसरूर जिला स्यालकोट सदर बाजार, महरौली, सब्जीमण्डी – कमलानगर आदि पश्चिमी पंजाब में इनके पिताजी का सर्राफ का कार्य था कई स्थानों पर नित्य धार्मिक उपासना के केन्द्र खुलवाये। तथा तायाजी म्युनिसिपेलटी के कमिश्नर थे, आपने दसवीं भगवान महावीर की वाणी जन-जन में प्रसारित हो इस क्लास तक उर्दू एवं फारसी माध्यम में शिक्षा प्राप्त की तथा उद्देश्य से महावीर सार्वजनिक मंच की स्थापना की। अंग्रेजी भाषा पर भी आपका पूर्ण अधिकार था। प्रबल आपश्री ने सर्वप्रथम जैन समाज के दिगम्बर, श्वेताम्बर वैराग्य की स्थिति में आप पूज्य सोहनलालजी म.सा. के मूर्ति पूजक, श्वेताम्बर स्थानकवासी, तेरापन्थी चारों पास दीक्षा हेतु आये पर घरवालों की सहमति नहीं मिलने मान्यताओं के संघों को महावीर जयन्ती कमेटी के अन्तर्गत की अवस्था में वापस घर भेज दिये गये घर वालों ने एक मंच पर लाये तथा अम्बाला शहर में आज भी यह सांसारिक सुखों के कई प्रलोभन दिये, अस्वीकृत करने पर कमेटी पूर्ण सद्भाव से कार्यरत है। जैन आगमों, सूत्रों, इनके तायाजी ने बहुत प्रताड़ित भी किया। चारपाई के भाष्यों एवं जैनेतर साहित्य का आपने सांगोपांग अध्ययन पायों के नीचे हाथ रखवा कर ऊपर बैठ जाते व दीक्षा व किया था तथा अपनी ओजस्वी एवं दबंग वाणी में सभी वैराग्य से रोकने का प्रयत्न करते अन्ततः प्रबल वैराग्य धर्मों के सूत्रों का बड़ा ही तुलनात्मक विवेचन करते थे। की जीत हुई तथा सभी घरवालों की सहमति से मिगसर तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरोध में प्रबल सुदी १० विक्रम संवत १६६० को आपने भागवती दीक्षा प्रवक्ता थे बालविवाह, मृत्युभोज तथा शादी विवाह के ली। दुर्व्यसन के रूप में नाच-गाने के लिए नृत्यांगना को बुलाने उग्र वैराग्य प्रबल संयम व कठोर साधना के धनी का आम रिवाज था उसे बन्द करवाने का भरपूर व सफल आपश्री दिन में चार घण्टे ध्यान साधना व अध्ययन में प्रयन्त किया। धार्मिक प्रवचनों में भी आप राष्ट्रीय एकता बिताते, रात में दो घण्टे ध्यान, प्रवचन, सामयिक प्रश्नोत्तर की विचार धारा के पोषक रहे थे। देश प्रेम व स्वातंत्र्यता व धर्मचर्या करते निरन्तर तप साधना एवं उग्र अध्ययन की प्रेरणा की ओजस्वी वाणी नवयुवकों में उत्साह का के अभ्यासी आपश्री ने शिक्षा एवं नारी शिक्षा पर बहुत संचार करती थी। सन १९१७ में रोलेट एक्ट के विरुद्ध जोर दिया। आपका स्पष्ट विचार था कि जब तक नारी जब जलियाँवाला बाग में जनरल डायर ने मार्शल ला शिक्षित नहीं होगी स्वयं ससंस्कारित नहीं होगी बच्चों में भी लगाकर गोलीबारी करवाई तथा आपने निर्भयता पर्वक शिक्षा का अभाव रहेगा। आप पंजाब के पहले सन्त थे । कड़े शब्दों में इस नरसंहार की भर्त्सना की थी। देश प्रेम, जिन्होंने लाहौर विश्वविद्यालय के प्रांगण में स्नातकों को राष्ट्रीयता, स्वातंत्र्य चेतना व अखण्डता के प्रवक्ता के रूप शिक्षा का अधिक से अधिक प्रचार व प्रसार करने को में पूर्वी पंजाब प्रांत में आपकी ख्याति थी तथा पंजाब उत्प्रेरित किया। सक्रिय रूप से ज्ञान व शिक्षा के प्रचार के केसरी के नाम से प्रसिद्ध थे। विक्रम संवत १६६२ में लिए आपने अमृतसर, अम्बाला व अलवर में जैन कन्या होशियारपुर में आपको जैन समाज ने आचार्य पद पर पाठशाला स्थापित करवाई जो आज कालेजों के रूप में सुशोभित किये। दीक्षा के आठवें वर्ष में ही आप उग्र शिक्षा केन्द्र बने हुए हैं। गुजरात राजकोट में जैन । अध्ययन एवं जैन आगमों के पाण्डित्य के कारण युवाचार्य सिद्धांतशाला व पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान बनारस पर पर विराजित हो गये थे। आप का उग्र विहार भी आपश्री की प्रेरणा से स्थापित हुए। दिल्ली में पहाड़गंज, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र प्रान्तों ७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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