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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
मध्याह्न में सार्वजनिक सभा आयोजित हुई। इस वंदन मेरा नहीं है अपितु गुरुदेव श्री का ही सम्मान है सभा के मुख्य अतिथि के रूप में श्री चन्दनमलजी 'चाँद' जिनकी कृपा से यह सब कुछ मिला है। मेरे जीवन की (महामंत्री-भारत जैन महामण्डल एवं “जैन जगत" पत्रिका सर्वांगीण उन्हीं की देन है।" के सम्पादक) थे। अन्त में परम श्रद्धेय मुनिराज ने उक्त
___तपोभिनन्दन-दिनांक १३-११-८८ को परम श्रद्धेय महान पुरुषों के जीवन एवं संस्मरणों से लोगों को परिचित
श्री जी एवं साध्वी श्री जी की सन्निधि में तपोभिनन्दन कराया। उन्होंने कहा – “इन महापुरुषों का तप एवं
समारोह रखा गया। जिसमें मुनि श्री सुमन्तभद्र जी को त्याग तथा सहनशीलता पूर्ण जीवन आज भी हमारा
१०६ एकासना करने के उपलक्ष में साध्वी जी द्वारा प्रदत्त मार्गदर्शक है।"
शाल समर्पित करके एवं श्रीमति जसवंती देवी के १२० __ इस अवसर पर रात्रि में कवि गोष्ठी “पूनम की एकान्तर तप (६० उपवास एक दिन छोड़ कर एक दिन) चाँदनी' का आयोजन हुआ। जिसमें हैदराबाद के २० एवं श्रीमती जसोदाबाई के २७ आयंबिल की तपस्या के कवियों ने भाग लिया। हर कवि का कविता हास्य, एव उपलक्ष्य में शाल एवं माल्यार्पण द्वारा बहुमान किया। इस व्यंग तथा धार्मिकता से भरपूर थी जिसे जनता ने बहुत प्रसंग पर विविध वक्ताओं ने भी तप की महत्ता पर सराहा। यह कार्यक्रम रात्रि २ बजे समाप्त हुआ।
प्रकाश डाला एवं गीतिकाएं प्रस्तुत की। ___दिनांक १-१०-८८ को स्थानीय युवकों की एक
विदाई की वेला - गोष्ठी महाराज श्री के पुनीत सानिध्य में आयोजित हुई। जिसमें सभी जैन बन्धुओं ने भाग लिया।
और अब सन्निकट आ रहा था परम श्रद्धेय श्री के बोलाराम संघ (क्षेत्र) का यह अहोभाग्य ही था कि
वर्षावास समापन का एवं विदाई का। चातुर्मास में जप
तप-जन्मजयन्तियाँ-पुण्यतिथियाँ, नेत्र शिविर, युवा गोष्ठी श्रमण संघीय सलाहकार मंत्री श्री सुमन मुनि जी म. ठाणा ३ का पावन चातुर्मास का लाभ प्राप्त हुआ और दिनांक
कवि सभा, व्यसन मुक्ति आदि विविध आयोजन हर्ष एवं २३-१०-८८ को पूज्य श्रद्धेय मुनिश्री का ३६ वां दीक्षा
उमंग के साथ मनाये गए। दिवस समारोह मनाने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। विभिन्न दीपावली वीर निर्वाण पर श्री उत्तराध्ययन सूत्र का वक्ताओं ने आप श्री के साधनामय जीवन पर प्रकाश वाचन हुआ। चातुर्मास समाप्ति पर संघ की ओर से डालते हुए आप श्री को दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की समापन समारोह का ओयजन किया गया। अतिथि विशेषकामना की। मुनि श्री सुमन्तभद्र जी म. ने आप श्री के श्री चन्द्रस्वामी, संघाध्यक्ष श्री मांगी लाल जी सुराणा, श्री जीवन के विविध प्रसंगों को अत्यंत सुन्दर ढंग से व्याख्यायित । पारस भाई बांठियाँ, तेरा पंथी सभा के अध्यक्ष श्री कानमल करते हुए कहा – “गुरुदेव का सान्निध्य मुझे दीर्घ काल । जी संचेती, युवासंघ के अध्ययक्ष श्री उगम चन्द जी तक मिलता रहे इसी में मेरे जीवन की सार्थकता है।" सुराणा, श्रीमति सुदेश जैन आदि ने अपनी अपनी शैली में समारोह के अन्त में मुनि श्री जी ने फरमाया -
प्रसंगोचित प्रकाश डाला एवं परम श्रद्धेय महाराज श्री एवं “मैंने अपने जीवन में कभी भी “जन्म दिवस" या "दीक्षा साध्वी श्री जी का आभार व्यक्त किया। दिवस" नहीं मनवाया। यहाँ पर लोगों को पता चला गया परम श्रद्धेय मंत्री मुनि श्री ने अन्त में चातुर्मास सफल तो इतना उपक्रम कर लिया। वस्तुतः यह सम्मान-अभिनन्दन- बनाने के लिए आबाल-वृद्धो को साधुवाद दिया तथा
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