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________________ वंदन-अभिनंदन! है। मेरा हार्दिक आशीष अन्त में मैं कहना चाहूंगा कि आप पंजाब मुनि परम्परा के ही नहीं अपितु सकल स्थानकवासी मुनि परम्परा के एक महान मुनिराज हैं। जिनशासन के श्रृंगार स्थविर, कर्मठ मुनिराज श्री सुमनकुमार जी महाराज हैं। आपके पचासवें - दीक्षा वर्ष में प्रवेश पर मैं समग्र पंजाब श्रमण परम्परा के एक तेजस्वी, ओजस्वी और पंजाब चतुर्विध संघ की ओर से मंगलकामना करता हूँ कि वर्चस्वी संत हैं। परम श्रद्धेय, पंजाब श्रमणसंघ की शान, आप अपने बहुआयामी व्यक्तित्व से जैन-जैनेतर जगत पूज्यवर्य पण्डित रल प्रर्वतक श्री शुक्लचन्द जी महाराज को सुदीर्घ काल तक उपकृत करते रहें। मेरा हार्दिक तथा अपने श्रद्धेय गुरुदेव पण्डित रत्न श्री महेन्द्र कुमारजी आशीष, आपके साथ हैं। महाराज के जीवनार्दशों को आत्मसात् करके आप जैनजैनेतर जगत को जिनवाणी का अमृत पान करा रहे हैं। 0 प्रवर्तक मुनि पद्मचन्द्र "भंडारी" वैसे तो आपकी विहारस्थली प्रमुखतः पंजाब ही रही है (उत्तर भारतीय प्रवर्तक) परन्तु पिछले तेरह वर्षों से आप दक्षिण भारत में विचरणशील हैं। मुझे सात्विक गर्व अनुभव हो रहा है कि आपने सुदूर दक्षिण भारत के कोने कोने में न केवल पंजाब का नाम गौरवास्पदमदीयम् । रोशन किया है अपितु उसके गौरव में और अभिवृद्धि की "दक्षिण दाक्षिण्य समन्वितेषु दक्षिण प्रान्तेषु शासनस्यास्य आप प्रारंभ से ही एक निर्भिक मनि रहे हैं। जीवन | सुललितं सुखचलितं जिन धर्म सम्वलितं प्रचार-प्रसारं सम्यक् के किसी भी क्षेत्र में पराजित होना आपने नहीं सीखा। रूपेण कुर्वन्तीति"..... गौरवास्पदमदीयम्! आप अपनी धुन के पक्के फकीर हैं। जो ठान लेते हैं उसे रजत मुनि पूर्ण करके ही विश्राम लेते हैं। (श्रमणसंघ के प्रर्वतक लोकमान्य संत श्री रूपचन्द जी म. 'रजत') __पूना मुनि सम्मेलन में आपको सर्वसम्मति से संतसंसद का सभापति (शान्तिरक्षक) चुना गया था। बाद में मंगल कामना आपको श्रमणसंघीय सलाहकार और श्रमणसंघीय मंत्री नियुक्त किया गया। आप अपने मुनि परिवार के उप पंजाब प्रवर्तक पण्डितरत्न श्री शुक्लचन्द्र जी महाराज प्रवर्तक भी हैं। के पौत्र शिष्य, श्रमण संघीय सलाहकार, मंत्री, मुनि श्री ऐतिहासिक शोध आपका रुचिपूर्ण विषय रहा है। सुमन कुमार जी महाराज के पचासवें दीक्षा वर्ष के उपलक्ष्य पंजाब की श्रमण परंपरा व श्रमणी परंपरा के इतिहास पर में एक बृहद् अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा आपने पर्याप्त शोध किया है। "पंजाब श्रमणसंघ गौरव" है - यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई। नामक ग्रन्थ जिसमें उक्त शोध पूर्ण इतिहास प्रस्तुत किया मुझे विश्वास है कि इस अभिनन्दन ग्रन्थ में मुनि श्री गया है तथा आचार्य श्री अमरसिंह जी म.का चरित्रांकन | जी के जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व के अतिरिक्त अन्य किया गया है आपकी एक कालजयी कृति है। | भी बहुत कुछ ठोस सामग्री होगी जो समाज के लिए एक Jain Education International For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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