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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
विचार पालन की दृष्टि से कठोरता भी आवश्यक है । कुंभकार की भाँति बाह्य कठोरता एवं अंतर से प्यार आपश्रीजी का निजीगुण है ।
आप प्रकृति से स्पष्ट, निर्भीक, सिद्धांतवादी हैं । अतिशय प्रशंसा से दूर, गहन गंभीर आगमज्ञान से युक्त, सादा जीवन और आचार-विचार का पालन आपके जीवन की साधना रही है ।
मुझ पर आपश्री की सदैव कृपादृष्टि रही है। दीक्षा से पूर्व भी मुझे आपके सान्निध्य में रहने का अवसर मिला। मालेरकोटला, लुधियाना, देहली, पूना और हैदराबाद आदि क्षेत्रों में आपके सान्निध्य में रहने का अवसर मिला । बहुत सी गंभीर गहन आगम युक्त ज्ञान की धारा में प्रवाहित होने का शुभ अवसर मिला। श्री शिरीषमुनिजी की दीक्षा आज्ञा का कार्य बहुत ही सुंदर ढंग से न्याय - नीति पक्ष का संबल लेते हुए आपश्रीजी ने संपूर्ण किया । मुझे आज भी आपकी कृपादृष्टि स्मरण हो आती है । जब भी आपके पास बैठने का अवसर मिलता है तो प्रत्येक घटना चाहे वह आज से पचास वर्ष पहले की ही क्यों न हो आप इस प्रकार वर्णन करते है कि वह घटना अभी घट रही है। उस घटना के सभी दृश्य चलचित्र की भाँति हृदयपटल पर छा जाते हैं । श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाता है ।
आपकी प्रज्ञा, प्रतिभा, गहन तर्कणाशाक्ति, ओजस्वी विचारधारा, शास्त्र सम्मत सैद्धांतिक दृष्टिकोण जैनधर्म के इतिहास की अत्यंत सूक्ष्म जानकारी इत्यादि आपके जीवन के मौलिक सद्गुण हैं। श्रमणसंघ की शक्ति संगठन एकता पर आपका अपूर्व अद्वितीय योगदान रहा है ।
आपश्री शतायु होकर जिनशासन की प्रभावना करते रहें, यह मेरी हार्दिक मंगलकामना है।
आचार्य डॉ. शिवमुनि
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वंदन
अभिनन्दन
श्रमण संघीय सलाहकार मंत्री - उपप्रवर्तक प्रखरवक्ता श्री सुमनमुनिजी म.सा. की जैन भागवती साधना के पचास वर्ष पूर्ण होने पर हार्दिक मंगलकामनायें है ।
इस पचास वर्ष की साधना में आपने जीवन की महानतम ऊँचाइयों को छुआ है, संघ की भरपूर सेवा की है ऐसे सन्त का सम्मान करना समसामयिक आवश्यकता है ।
दीक्षा जयंती के उपलक्ष्य में हमारी हार्दिक हार्दिक मंगल कामनायें हैं, सद्भावनायें हैं । आप दीर्घायु हो । आपकी समय-यात्रा संघ के लिए मार्गदर्शक बनी रहे । आपका मंगलमय आशीर्वाद संघ के लिए वरदान रूप सिद्ध हो ऐसी सद्भावनायें हैं ।
आपका बहु आयामी जीवन हर्षानुभूति का कारण है । सभी दृष्टियों से विकासोन्मुख व्यक्तित्व ही आपके जीवन की विशेषता है, आपके लिए शुभकामनाएँ तथा वंदन अभिनंदन |
उपाध्याय विशालमुनि
शुभाशीर्वचनम्
आपकी यशोगाथाएँ सुन कर मन आनन्दित हो उठता है, हमें अपने अजीज़ साथी की कार्यक्षमता एवं सूझ-बूझ पर स्वाभिमान है ।
“ इसी तरह ही सुमन जी, बढ़े मान-सम्मान ! दिनकर सम चमको सदा, कहता है मुनिज्ञान !!"
ज्ञानमुनि, बहुश्रुत, सलाहकार (पंजाब)
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