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सर्वतोमुखी व्यक्तित्व
___ कुछ दिन ठहरने के बाद श्रद्धेय चरितनायक ने लुधियाना वर्षावास का अत्याग्रह विहार की अनुमति मांगी। पर प्रवर्तक श्री जी ने अनुमति
लुधियाना से विहार के अवसर पर पं.श्री रत्नमुनि नहीं दी। कुछ दिन और ठहरने के पश्चात् आज्ञा मिली।
जी म. ने लुधियाना वर्षावास के लिए आपसे अत्याग्रह प्रवर्तक श्री जी ने कहा – “सुमनमुनि ! इस वर्ष का किया। श्री संघ लधियाना ने भी साग्रह प्रार्थना की। वर्षावास आपको लुधियाना करना है।"
श्रद्धेय चरितनायक ने अपने गुरुदेव के स्वास्थ्य की बात ___ चरितनायक ने कहा-भंते ! आपकी आज्ञा शिरोधार्य दोहराई। इस पर लुधियाना श्री संघ गुरुदेव के श्री चरणों है, पर गुरु महाराज का स्वास्थ्य देखकर ही निवेदन __ में मालेरकोटला जाकर वर्षावास की अनुमति ले आया। करूंगा।
आपने गुरुदेव की अनुमति, श्री रल मुनि जी का प्रवर्तक श्री जी ने कहा- मालेरकोटला से स्वीकृति आग्रह तथा श्री संघ की प्रार्थना को देखते हुए वर्ष हम मंगा लेंगे।
१६८२ के वर्षावास की स्वीकृति प्रदान कर दी। आपने श्रद्धेय श्री के चरणों पर मस्तक रख दिया।
अभी वर्षावास में कुछ दिन शेष थे। आपने श्रद्धेय
श्री रत्नमुनि जी म. से कहा - पूज्य श्री ! मैं गुरुदेव के प्रवर्तक श्री जी का स्वर्गारोहणग
दर्शन कर आऊं। उनके स्वास्थ्य की मंगल पृच्छा कर लुधियाना से आप फिल्लौर होते हुए नवांशहर पहुंच आऊ। गए। दीक्षा समारोह सम्पन्न हुआ। नवांशहर से आप श्रद्धेय श्री रत्नमुनि जी म. ने कहा - सुमन ! मैं भी जालंधर छावनी पधारे। जालंधर छावनी से जालंधर
तुम्हारे साथ चलता हूँ। शहर जाते हुए मार्ग में लाला दीनानाथ जी, जोगिन्द्रपालजी
पूज्य श्री का प्यार देखकर आप गद्गद् हो गए। की कोठी पर कुछ देर विश्राम के लिए रुके। वहां आपने
आपने श्रद्धेय श्री से कहा-“गुरुदेव ! आप का स्वास्थ्य स्वल्पाहार लिया।
बिहार की अनुमति नहीं देता है। आप यहीं विराजिए। उसी समय वहां पर लुधियाना से टेलिफोन आया कि मैं गुरुदेव के दर्शन करके लुधियाना वर्षावास के लिए आ श्रद्धेय श्री प्रवर्तक श्री जी का स्वर्गवास हो गया है। इस
जाऊंगा।" सूचना से आपको अवगत कराया गया। सुनकर आप अवाक् रह गए। अभी कुछ ही दिन पहले तो आप प्रवर्तक श्री के सान्निध्य में रह कर आए थे। आप को श्रद्धेय चरितनायक श्री सुमन मुनिजी म. गुरुदेव के स्मरण आया..... प्रवर्तक श्री जी आपको विहार से पुनः __ श्रीचरणों में मालेरकोटला के लिए गुरुदेव से विमर्श किया पुनः रोक रहे थे। वर्षावास के लिए आग्रह कर रहे थे। और प्रार्थना की गुरुदेव ! आपके स्वास्थ्य को देखते हुए
भवितव्यता पर चिन्तन कर अपने मन को तसल्ली मुझे आपसे दूर नहीं जाना चाहिए। देकर आप श्री जालंधर से यथाशीघ्र फगवाड़ा, फिल्लौर गुरुदेव ने कहा – मेरा स्वास्थ्य तो ऐसा ही चल रहा होते हुए लुधियाना पधारे। श्रद्धांजलि सभा हुई। सभी है। लुधियाना बिरादरी तथा ज्येष्ठ मुनिराजों का आग्रह स्थानीय साधु-साध्वियां एकत्रित हुए।
भी टाला नहीं जा सकता है।
गुरु चरणों में
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