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सर्वतोमुखी व्यक्तित्व
की दृष्टि से श्रद्धेय श्री महेन्द्रमुनि जी म. ने अपने शिष्य जी म. ने अहमदगढ़ श्रीसंघ को अपने शिष्य का वर्षावास चरितनायक श्री सुमनमुनि जी म. का वर्षावास धूरी श्रीसंघ प्रदान किया। उल्लसित मन से श्री संघ लौट गया। को प्रदान किया।
नियत समय पर आप श्री वर्षावास हेतु अहमदगढ़ ___श्रद्धेयवर्य पूज्य श्री सुमनमुनिजी म. मालेरकोटला से पधारे। आपका यह वर्षावास भी ऐतिहासिक वर्षावास अनेक क्षेत्रों को स्पर्शते हुए रायकोट पधारे। यहां पर सिद्ध हुआ। जैन अजैन हजारों की संख्या में श्रोता आपकी मंगलमयी प्रेरणा से निःशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर आपकी देशनाओं से लाभान्वित हुए। अपूर्व अर्भ जागरणा आयोजित हुआ जिसमें सैकड़ों जरूरतमंदों ने आंखों की चिकित्सा तथा ऑपरेशन कराए।
वर्षावास की पूर्णाहुति पर आप श्री कुपकलां होते उक्त शिविर की सफलता से श्रीसंघ उत्साहित बन
हुए श्रद्धेय गुरुदेव के श्री चरणों में पहुंच गए। कुछ दिन गया। संघ का उत्साह देखकर आपने “प्रवर्तक श्री शुक्लचन्द्र
गुरुदेव की सेवाराधना में रहने के पश्चात् गुरु-निर्देश का जैन मैडिकल रीलीफ सोसायटी" की स्थापना करवा दी।
पालन करते हुए पूर्व प्रार्थी क्षेत्रों में धर्मोधोत के लिए
प्रस्थित हुए। अस्पताल निर्माण के लिए ७५४५० से अधिक का एक पुराना मकान भी खरीदा गया।
२६ मार्च १६८१ को लुधियाना में प्रवर्तक उपाध्याय
श्रमण श्री फूलचन्दजी म. का जन्म जयंति महोत्सव मनाया धूरी वर्षावास
गया। इस आयोजन पर आप श्री को आमंत्रित किया रायकोट से आप वर्षावास हेतु धूरी पधारे। आपके ।
गया। प्रवर्तक श्री जी के आमंत्रण को स्वीकार कर आप पदार्पण से धूरी धर्म नगरी बन गई। सामायिक, संवर
उक्त महोत्सव में सम्मिलित हुए। पौषधादि की निरन्तर आराधनाएं होने लगीं। जैन-अजैन __उक्त समारोह में आप श्री के अतिरिक्त श्री केवल बड़ी संख्या में श्रोता आपके प्रवचनों का पीयूष पान करने मुनि जी म. कविरत्न श्री चन्दनमुनि जी म. आदि मुनि भी लगे। पर्युषण और सम्वत्सरी पर विशेष धर्मराधना हुई। सम्मिलित हुए थे। धूरी वर्षावास पूर्ण कर आप पुनः पूज्य गुरुदेव श्री
___ कांफ्रेंस के अध्यक्ष श्री जवाहरलाल मुणोत तथा श्री के चरणों में मालेरकोटला पधारे। गुरु-शिष्य का सुमधुर
रामानन्द सागर (प्रसिद्ध फिल्म निर्माता) भी इस समारोह में सम्मिलन हुआ। शिष्य ने गुरु चरणों पर अपना हृदय
समुपस्थित हुए थे। वारा । गुरुदेव ने वरदहस्त से शिष्य का सिर सहलाया। धूरी क्षेत्र में कुछ दिन विराजने के पश्चात् संगरूर
पधारे। धूरीगेट पर स्थित स्थानक में विराजे। वहां अहमदगढ़ वर्षावास
स्थानक का कार्य अधूरा पड़ा हुआ था। आपकी प्रेरणा से वर्ष १६८० में कविरत्न श्री सुरेन्द्रमुनि जी म. ने श्रीसंघ में मानों नवीन प्राणों का संचार हो गया। अधूरा मालेरकोटला वर्षावास की घोषणा की। अहमदगढ़ का कार्य शीघ्र पूरा करने का श्रीसंघ ने संकल्प किया। श्री संघ वर्षावास की प्रार्थना के साथ श्रद्धेय चरितनायक
संस्मरण के चरणों में समुपस्थित हुआ। जन-जन का कल्याण ही जिनका काम था ऐसे श्रद्धाधार पूज्य प्रवर पं. श्री महेन्द्रमुनि
उन्हीं दिनों की एक घटना है। महावीर जयंति का
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