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वंदन - अभिनंदन !
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लाखों लाख बधाई।
१. दीक्षा-स्वर्ण जयंती जिनकी
धूमधाम से आई है। ‘मंत्री सुमन मुनीश्वरजी को लाखों-लाख बधाई है।।
___ उन्नीसौ बाणवे विक्रम
जन्म आपने पाया था। राजस्थानी ‘पांचूं गांव' वह
फूला नहीं समाया था।। ३. दीक्षा-दिवस वसन्त पंचमी
प्यारा परम हमारा है। वही वसंत पंचमी शुभ दिन जन्म आपका प्यारा है।।
पिता 'चौधरी भीवराजजी' 'वीरांदेजी' मां प्यारी। ऊंचे ग्रह गुण युक्त पुत्र पा
हर्ष मनाया था भारी।। गौरवर्ण का चंदा जैसा लगा सभी को प्यारा बाल । वंश 'गोदारा' जाति 'जाट' शुभ नाम दिया 'गिरधारीलाल'।। ६. छोटा और बड़ा यों इनके
दो ही भाई प्यारे थे। बचपन में ही मात-पिताजी
सहसा स्वर्ग सिधारे थे।। ७. चोट लगी कुछ मन पर ऐसी • जिससे जाग गया वैराग।
दीक्षा ली ‘साढ़ौरा' जाकर तृणवत् दिये जगत्-सुख त्याग
८. आश्विन शुक्ला तेरस विक्रम
दो हजार था सम्वत् सात । दीक्षा-पाठ पढ़ानेवाले
'हर्षमुनीश्वर' थे विख्यात।। | ६. कविवर, वक्ता भी थे भारी
आगम मर्मज्ञ अरु विज्ञ कोई पंजाबी होगा उस महामना से अनभिज्ञ।। १०. प्रवर ‘प्रवर्तक शुक्लचंद्र' के
शिष्यरल जो न्यारे थे। । 'पंडितरल महेन्द्र मुनीश्वर'
गुरूवर इनके प्यारे थे।। ११. विद्याध्ययन किया फिर डटकर
मति अति निर्मल पाई थी। हिंदी, प्राकृत, संस्कृत, इंग्लिश गुजराती झट आई थी।। १२. क्या बतलायें कितना अच्छा
जैनागम-अध्ययन किया। दूर-दूर तक भारी रोशन
धर्म जगत में जैन या।। १३. वक्ता, लेखक व सम्पादक
हैं अनुवादक आप बड़े। महिमा गाते नहीं अघाते लोग हजारों लिखे-पढ़ें।। १४. मंत्री और सलाहकार हैं
'श्रमणसंघ' के नामी सन्त। गहरे है इतिहास केसरी'
जपी, तपी, ज्ञानी, गुणवन्त ।। १५. खुद चमकें और जैनधर्म को
दुनियाँ में चमकायें जी।
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