________________
साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
00000www
28828038085000000000
विरागीका-विरागाभिनन्दन!
हे श्रमण संघ सलाहकार मुने! मंत्रीवर सुमनकुमार मुने!! शत-शत हैं वन्दन! संग-संग अभिनन्दन!!
उत्तर से जब बढ़े दक्षिण की ओर कितना लंबा सफर, कहां है इसका छोर ? संस्कृत-प्राकृत-हिन्दी-अंग्रेजी का गुरुवर को ज्ञान, फिर भी मन में देखो, तनिक नहीं अभिमान । वीर-वाणी का कर रहे ग्राम-नगर प्रचार, निर्भिक वक्ता हैं नहीं किसी का भय लिगार । माम्बलम में आपका चातुर्मास सुखकारी, सुमंतभद्र-प्रवीण मुनि, दो शिष्य साताकारी। संयमार्ध शतक पर 'पारस' का विधिवत् वंदन, दीक्षा स्वर्ण जयंति पर, गुरुदेव आपका अभिनंदन ।।
माँ वीरादे के मंझले लाल, भीवराज चौधरी के कुल भान! बीकानेर परगना ग्राम है पांचूं, संवत् १६६२ की आई वसन्त पाचूं ।। शुभ योग में तुमने जन्म लिया, माता-पिता ने 'गिरधर' नाम दिया। आया जीवन में प्रबल अशुभ योग, बालवय में हुआ मात-पितु वियोग।।
जे. पारसमल गादिया 'स्वदर्शी'
माम्बलम् - चेन्नई - ३३.
| सुमणत्थुई
सद्पुण्यों से हुआ पुनः परिवर्तन मिली ममतामयी जब सती रूक्मण! वयोवृद्धा ने जाना तव सुलक्षण, विद्यालय में दिलवाया सुशिक्षण ।।
अध्ययन करते-करते नवयौवन पाया जीवन को क्षणभंगुर लख विराग आया। मिल गए मुनि महेन्द्र गुरु शुक्लचन्द्र । चमके जिनशासन में ज्यों सूरज-चन्द्र।। परिपक्व जान साढ़ौरा में दिया संयम भार, गिरधर से बन गए मुनि सुमनकुमार। गुरु सेवा में रह आगम अभ्यास किया कई भाषाओं और इतिहास का ज्ञान लिया।।
जस्स सव्वप्य भावाईणि समएण सह सया रमइ । तस्स जिणसासणवड्डावगस्स धम्मप्पहावगस्स सुमणस्स णमो।।१।। सद्धा भाव संवडवो नाणप्पहावओ समणसंघस्स चरण चरावओ। संजम सीलगुणप्पहावगो सावगाण सो महामुणी सुमणो जयउ ।।२।।
भावार्थ - जिसका आत्मभाव धर्म में सदा रमण करता रहता है उस जिनशासन की संवर्धना करनेवाले, धर्म प्रभावना करनेवाले सुमन मुनि को नमस्कार है ।।१।।
श्रद्धा भाव तथा ज्ञान भाव की प्रभावना करने वाले, साध्वोचित आचरण की स्थापना को उन्नत करते हुए, श्रावकों में संयम, शीलादि गुणों की प्रभावना करने वाले महामुनि सुमन कुमार जी महाराज की जय हो।।२।।
0 डॉ. एन. सुरेशकुमार M.A. Ph.d. भगवान महावीर प्राकृत भाषा विद्यापीठ
बाह्याभ्यंतर व्यक्तित्व युत उदारमना, स्पष्टवक्ता, करुणा का बहता झरना।
१२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org