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________________ साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि | जीवन यापन करने लगे। पूज्य गुरुदेव का चमत्कारी व्यक्तित्व (२) इसी तरह हैदराबाद का कीमती परिवार जो एक समय बड़ा ही धर्मानुरागी रहा था कालान्तर में वह धर्म व समाज से विमुख हो गया। मुनि श्री जी ने उन्हें प्रबुद्ध चिंतक, स्वतंत्र विचारक, निर्भीक वक्ता, गुण उद्बोधन दिया व उनके पूर्वजों द्वारा समाज व धर्म के ग्राहकता के धनी, तत्वज्ञानी, सरल शैली के व्याख्याता प्रति समर्पित अविस्मरणीय सेवाओं की याद दिलवाई। इन सभी प्रवृत्तियों का समावेश परम पूज्य श्रमण संघीय प्ररेणा पाकर कीमती परिवार के सदस्य धीरे-धीरे धर्म व सलाहकार मंत्री मुनि श्री सुमनकुमार जी 'श्रमण' के आचार सामाजिक क्षेत्र में सक्रियता पूर्वक अपनी भूमिका निभाने विचार व व्यवहार में देखने को मिलता है। विचार तो लगे। विशेष रूप से श्री राजेन्द्र कुमार जी कीमती व सभी के पास एक से बढ़कर एक, या सुन्दर से सुन्दरतर उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पुष्पा देवी कीमती। होते हैं, परन्तु आचार और व्यवहार में जमीन-आसमान उपर्युक्त दो प्रसंगों से सम्बन्धित महानुभावों को हम का अन्तर पाया जाता है। मैंने अनुभव किया है कि जब भी देखते हैं या मिलते हैं तो हमें, उन्हें व वहां पर कथनी और करनी की एकता को मूर्ती रूप देने में मुनि श्री एकत्रित समूह को मुनि श्री जी की याद आना स्वाभाविक जी नितान्त समर्थ एवं तत्पर हैं। जैनधर्म अथवा दर्शन बात होती है। प्रसंगवश कभी-कभी मुनि श्री जी की बातों व्यक्ति का नहीं गुणों का समर्थक है। ठीक उसी प्रकार का जिक्र करते हुए उन लोगों के नेत्र सजल हो उठते हैं। जिस व्यक्ति में मुनि श्री जी को गुण या हुनर नजर आता मेरी दृष्टि में संत की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है कि वह है, उसे संघ के पदाधिकारियों से ज्यादा मान-सम्मान देते | किसी भटके व्यक्ति को सन्मार्ग पर लगा देवे। मेरी नजर हैं और भरी सभा में उसका उल्लेख भी करते हैं। कलाकार | में यही चमत्कार है। को प्रेरणा देकर उसका उत्साह बढ़ाते हैं। ऐसे क्रान्तिकारी, चमत्कारी एवं प्रबुद्ध चिन्तक मुनि मुनि श्री जी ने १६८८ में एक चातुर्मास बोलारम | को उनकी दीक्षा की स्वर्ण-जयंति पर शत-शत वन्दन एवं तथा १६८६ में डबीरपुरा (हैदराबाद) में किया। मुझे | अभिनन्दन। लगातार दो वर्षों तक मुनि श्री जी के सान्निध्य एवं सेवा 0 मदनलाल मरलेचा जैन का लाभ मिला। इन दो चातुर्मासों के दौरान घटित दो कवि एवं संघ-संचालक, (सिकन्दराबाद) अविस्मरणीय घटनाओं का उल्लेख मैं निम्न पंक्तियों में कर रहा हूँ सामाजिक चेतना के संवाहक (१) सिकन्दराबाद निवासी सुश्रावक श्री शान्तिलाल जी अपने जीवन में लगभग निष्क्रिय होकर टूट चुके थे। __श्रमणसंघीय सलाहकार, मंत्री पूज्य गुरुदेव श्री सुमनमुनि मानसिक रूप से विक्षिप्त होकर वे कुछ दुर्व्यसनों में पड़ जी म. 'श्रमण' सामाजिक चेतना के संवाहक मुनिराज हैं। गए। चारों ओर से निराश होकर वे मुनि श्री जी के आपकी ओजस्वी वाणी से श्रोताओं में स्फूर्ति और कुछ चरणों में पहुंचे। मुनि श्री जी ने उन्हें ऐसा आत्मबोध करने का उत्साह जाग उठता है। आपकी मंगलमयी कराया कि वे जीवन में फिर सक्रिय हो उठे। उनके प्रेरणा से तमिलनाडु में कई स्थानों पर जनकल्याणकारी दुर्व्यसन छूट गए और वे एक आदर्श श्रावक की भांति | संस्थाएं बनी हैं। अनेक क्षेत्रों में स्थानकों का निर्माण हुआ ७८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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