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मेरा जीवन-वृत्त ६३ स्व० पं० बाबूलाल जी कटनी थे। मोरेना में न्यायाचार्य पं० माणिकचंद जी, स्व० पं० बंशीधर जी एवं पं० देवकी नन्दन जी एवं जगन्नाथ जी शास्त्री थे। इन सबका परिचय उक्त कथानक में न आ सका । काशी के प्रख्यात नैयायिक पं० अम्बादास जी शास्त्री मेरे गुरु थे। अन्य गुरुजन भी थे।
___ इन ८८ वर्षों में समाज के अनेक बंधुओं से सम्पर्क आया, अनेकों का स्नेहभाजन रहा । उन सबका उल्लेख इस छोटे से लेख में संभव नहीं है।
खुरई गुरुकुल, ऐलोरा गुरुकुल, विद्वत् परिषद् आदि संस्थाओं की स्थापना में व निर्माण में भी मेरा यथाशक्य योगदान रहा है। इतनी संक्षिप्त सूचना के साथ मैं विराम लेता हूँ।
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