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________________ युवाचार्य महाप्रज्ञ जी भिक्षु विचार दर्शन की भूमिका में लिखते हैं -“जैसे-जैसे काल की लंबाई बढ़ती है, वैसे-वैसे उसका आवरण सबको आवृत्त करता है किंतु उन्हें अनावृत्त करता है जिनका जीवन तपःपूत रहता है।" हमारी भी हार्दिक शुभकामनाएं श्रद्धेया महासती कानकंवरजी व चंपाकंवर जी के लिए यही है कि उनका चारित्रिक बल व तपस्या का वलय हजारों हजारों वर्ष तक सुरक्षित रहे। भटके हुए या यों कहूं दिशा भ्रमितों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा व प्रकाश दे। अंत में हम उनकी साधना के प्रकाश से प्रकाशित होते रहें। यही श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ। श्रद्धांजलि • प्रकाशचन्द्र राजकुमारी मूथा, हरीशचन्द्र नीरू मूथा किसी ने सत्य ही कहा है - जब हम आए जगत में, जग हँसा तुम रोये। ऐसी करनी कर चलो, तुम हँसो जग रोये॥ बंधुओं, उपवन में फूल खिलते हैं, तथा मुरझा जाते हैं। परन्तु उन्हीं फूलों की सुंगध सबको मोहित करती है। जो अपनी महक से सारे जगत को सुगंधमय बना देते हैं। वह फूल भले ही मुरझा जाये, परंतु उसकी सुरभि सभी की स्मृति पटल पर बनी रहती है। यह जगत का नियम है कि फूल खिलता है, और मुरझा जाता है। सूर्य उदय होता है? शाम को अस्त हो जाता है। इसी प्रकार यह मानव जीवन भी क्षण भंगुर है। न जाने कब समाप्त हो जाए। हमारे पूज्य महासतियाँ जी स्व. श्री कानकंवर जी म.सा. एवं स्व. श्री चंपाकंवर जी म.सा. जिनका जन्म कुचेरा की पावन धरती पर हुआ। आप अनेक ग्रामानुग्राम विचरण करती हुई भ. महावीर के बताये हुए मार्ग का अनुसरण करती हुई मद्रास की ओर चली आयी तथा स्वास्थ्य लाभ न होने से उन्हें यहाँ ५ चातुमार्स करने पड़े तथा वह स्वास्थ्य लाभ न होने पर भी हर पल अन्तरात्मा का चिन्तन करती रही तथा पंडित मरण द्वारा उन्होने काल धर्म को प्राप्त किया। धन्य है ये दोनों महासतियाँ जिनके आध्यात्मिक उपदेशों को सुनकर ६ महासतियाँ अपनी आत्मा का कल्याण करती हुई जिनशासन की शोभा बढ़ा रही है। आध्यात्मिक साधना में लीन ऐसी महासतियाँ जी के प्रति हम सपरिवार अपनी भाव भरी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। * * * * * (५५) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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